दिल्ली के अधिकारियों पर नियंत्रण से जुड़े केंद्र के अध्यादेश का मामला सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को (20 जुलाई) 5 जजों की संविधान पीठ को सौंप दिया. चीफ जस्टिस ने कहा कि इस बात पर लंबी सुनवाई जरूरी है कि सेवाओं को अध्यादेश के जरिए दिल्ली विधानसभा के दायरे से बाहर कर देना सही है या नहीं.
एलजी के लिए पेश वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने कहा कि संसद में बिल पेश हो जाने के बाद अध्यादेश के मसले पर विचार की जरूरत ही नहीं रहेगी. इसपर सीजेआई ने कहा कि हम तब तक इंतजार नहीं कर सकते.
दिल्ली सरकार के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने संविधान पीठ में जल्द सुनवाई की मांग की. चीफ जस्टिस ने कहा कि आदेश शाम तक अपलोड किया जाएगा. उसमें सुनवाई की तारीख भी बताई जाएगी.
अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली आप सरकार दिल्ली में नौकरशाहों की नियुक्ति और स्थानांतरण से जुड़े इस अध्यादेश का विरोध कर रही है. ये अध्यादेश केंद्र सरकार ने मई में जारी किया था. अध्यादेश में दानिक्स कैडर के ग्रुप-ए अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही और तबादलों के लिए राष्ट्रीय राजधानी सिविल सेवा प्राधिकरण स्थापित करने का प्रावधान है.