सुप्रीम कोर्ट का अहम फैसला, कैदी की जाति देखकर उसे काम देना असंवैधानिक

जेल में कैदियों के साथ जातिगत आधार पर होने वाले भेदभाव को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने अहम फैसला सुनाया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि कैदी की जाति देखकर उसे काम देना असंवैधानिक है. यह अनुच्छेद 15 का उल्लंघन है. इसी के साथ सुप्रीम कोर्ट ने जेल मैनुअल में बदलाव के निर्देश दिए हैं. अदालत ने सभी राज्यों को तीन महीने के अंदर जेल नियमों में बदलाव करने को कहा है.

सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि विभिन्न राज्यों के जेल मैनुअल के ऐसे प्रावधान जिनमें जाति के आधार पर काम का बंटवारा हो, असंवैधानिक है. इस तरह के नियम औपनिवेशिक काल की मानसिकता का उदाहरण है.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दोषी या विचाराधीन कैदी के रजिस्टर में जाति कॉलम को हटाया जाए. तीन महीने के बाद कोर्ट मामले की दोबारा सुनवाई करेगा. इस बीच सभी राज्यों को अपने जेल मैनुअल में बदलाव करना होगा.

जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए अदालत ने कहा, यह मैनुअल निचली जाति को सफाई और झाड़ू लगाने का काम और उच्च जाति को खाना पकाने का काम सौंपकर सीधे तौर पर भेदभाव करता है और यह अनुच्छेद 15 का उल्लंघन है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस तरह की प्रथाओं से जेलों में श्रम का अनुचित विभाजन होता है और जाति आदि के आधार पर श्रम आवंटन की अनुमति नहीं दी जा सकती.

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