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पश्चिम बंगाल शिक्षक भर्ती घोटाला: ममता सरकार को सुप्रीम कोर्ट से फटकार, ‘यह एक सुनियोजित धोखाधड़ी’

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सुप्रीमकोर्ट

पश्चिम बंगाल में शिक्षकों की भर्ती घोटाले को लेकर ममता सरकार को सु्प्रीम कोर्ट ने कड़ी फटकार लगाई है. यहां पर मंगलवार को सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा कि यह एक सुनियोजित धोखाधड़ी की तरह है. इससे लोगों के भरोसे पर चोट हुई है. सुप्रीमा कोर्ट में पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई हो रही है. इसमें 24000 शिक्षकों की नियुक्ति को रद्द करने के हाईकोर्ट निर्णय को चुनौती दी गई है.

चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ की बेंच ने भर्ती प्रक्रिया को सुनियोजित धोखाधड़ी बताया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 25,753 शिक्षकों और गैर-शिक्षण कर्मचारियों की नियुक्ति से जुड़े डिजिटल रिकॉर्ड बनाए रखना अफसरों का कर्तव्य है. सार्वजनिक नौकरियां काफी कम हैं. ऐसे में अगर लोगों का विश्वास डिगा तो कुछ नहीं बचने वाला है. यह एक सुनियोजित धोखाधड़ी की तरह है.

तो सिस्टम में क्या बचेगा?
सीजेआई ने राज्य सरकार के वकीलों से सवाल पूछा और कहा कि आज सार्वजनिक नौकरियों की तादात काफी कम हैं. इसे सामाजिक गतिशीलता के लिए देखा जाता है. अगर नियुक्ति को बदनाम किया गया तो सिस्टम में क्या बचेगा? इस तरह से लोगों का विश्वास उठेगा. आप इस तरह से बर्दाश्त करेंगे? मामला किसी भी तरह संवेदनशील या राजनीतिक रूप से जटिल नहीं होना चाहिए. हम वकील ही हैं. हाईकोर्ट के जजों पर आरोप लगाने से किसी तरह का लाभ नहीं होगा.

शिक्षक भर्ती घोटाला है क्या?
ये पूरा मामला एसएससी के जरिए शिक्षकों की भर्ती से जुड़ा है. 2014 में जब एसएससी ने इस भर्ती का नोटिफिकेशन दिया था, तब पार्थ चटर्जी शिक्षा मंत्री थे. 2016 में भर्ती प्रक्रिया की शुरुआत हुई थी. कई आवेदको ने भर्ती प्रक्रिया में धांधली का आरोप लगाया. इसके साथ हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी. पांच साल तक चली सुनवाई के बाद मई 2022 में हाईकोट ने इसकी जांच सीबीआई को सौंप दी.

इसके बाद मनी लॉन्ड्रिंग के तहत ईडी ने इस पर जांच की. सबूत हाथ न लगने पर ईडी ने पार्थ चटर्जी और उनकी करीबी अर्पिता मुखर्जी को गिरफ्तार कर लिया. याचिकाकर्ताओं का कहना है कि जिन प्रत्याशियों के नंबर कम था, उन्हें मैरिट लिस्ट में ऊपर दिखाया गया. कुछ ने इस तरह की शिकायतें की थी कि कुछ उम्मीदवारों का मैरिट लिस्ट में नाम न होने पर भी उन्हें नौकरी दे दी गई.

टीईटी की परीक्षा को पास करना जरूरी

याचिकाकर्ताओं का आरोप कि ऐसे कैंडिडेट्स को नौकरी दी गई, जिन्होंने टीईटी परीक्षा को पास नहीं किया था. वहीं राज्य में शिक्षक भर्ती को लेकर टीईटी की परीक्षा को पास करना जरूरी है. बीते माह ही कोलकाता हाईकोर्ट ने इस पर अपना निर्णय सुनाते हुए इस भर्ती को रद्द कर दिया. इस तरह से बंगाल के करीब 26 हजार शिक्षकों को अपनी नौकरियां खो दीं. इस तरह से हाईकोर्ट ने पश्चिम बंगाल स्कूल सर्विस कमीशन को नए सिरे भर्ती करने का आदेश दिया.

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