सुल्ताना बेगम नाम की महिला ने दिल्ली की हाई कोर्ट की सिंगल बेंच में केस दाखिल किया था कि लाल किला उसका है और भारत की सरकार उस पर अवैध कब्जा करके बैठी है. जब हाई कोर्ट की सिंगल बेंच ने इस मामले को खारिज कर दिया तो वह दिल्ली हाई कोर्ट की डबल बैंच में पहुंच गई थीं. आज शुक्रवार को उसी डबल बैंच का फैसला आया है.
दरअसल, अंतिम मुगल बादशाह बहादुर शाह जफर द्वितीय के पोते की विधवा होने का दावा करने वाली महिला की सुल्ताना बेगम ने लाल किले पर कब्जा करने की मांग कोर्ट में की थी. सुल्ताना बेगम ने बताया था कि 1857 में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने उससे जबरन कब्जा छीन लिया था. याचिका में दावा किया गया था कि सुल्ताना बेगम को अपने पूर्वज बहादुर शाह जफर द्वितीय से संपत्ति विरासत में मिलने के कारण वह लाल किले की असली मालिक है.
1857 से आज तक मुआवजा देने का निर्देश देने की मांग
याचिका में कहा कि भारत सरकार किले पर अवैध रूप से कब्जा कर रखा है. याचिका में यह भी कहा गया कि भारत सरकार द्वारा कथित अवैध कब्जे के लिए वर्ष 1857 से आज तक मुआवजा देने का निर्देश देने की भी मांग की गई थी.
दिल्ली हाई कोर्ट ने इस वजह से लिया फैसला
यह रोचक मामला दिल्ली की हाई कोर्ट ने सिंगल जज की बेंच ने दिसंबर 2021 में खारिज कर दिया. बाद में इस आदेश को दिल्ली हाई कोर्ट की डबल बैंच में चुनौती दी गई. तो दिल्ली हाई कोर्ट की डबल बैंच ने आज याचिका को खारिज कर दिया. हाई कोर्ट की डबल बैंच ने कहा कि अपील ढाई साल से अधिक की देरी के बाद दायर की गई थी जिसे माफ नहीं किया जा सकता.
सुप्रीम कोर्ट में जा सकता है मामला
हाई कोर्ट की डबल बैंच में खारिज होने के बाद यह मामला अब सुप्रीम कोर्ट में जा सकता है. अब यह सुल्ताना बेगम पर निर्भर करता है तो वह इस फैसले के बाद खामोश होकर बैठ जाती हैं या फिर सुप्रीम कोर्ट में हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ जाती हैं.