ब्रिटिश फार्मास्युटिकल दिग्गज कंपनी एस्ट्राजेनेका ने कबूल किया है कि उसकी कोविड-19 वैक्सीन कोविशील्ड के कारण थ्रोम्बोसाइटोपेनिया सिंड्रोम (TTS) के साथ थ्रोम्बोसिस नामक एक दुर्लभ दुष्प्रभाव हो सकता है. वैक्सीन निर्माता ने दस्तावेज़ों में कहा है कि कोविशील्ड, दुर्लभ मामलों में एक ऐसी स्थिति की वजह बन सकती है, जिससे खून के थक्के जम सकते हैं और हार्ट अटैक का खतरा बढ़ सकता है.
ब्रिटेन की अदालत के बाद अब यह मामला भारत की सर्वोच्च न्यायालय यानी सुप्रीम कोर्ट तक में पहुंच गया है. बुधवार (01 मई) को जोखिम कारकों का अध्ययन करने के लिए एक एक्सपर्ट चिकित्सा पैनल के गठन की मांग वाली याचिका शीर्ष कोर्ट में दायर की गई है. साथ ही जनता के स्वास्थ्य सुरक्षा के हित में निर्देश जारी करने की भी मांग की गई.
एक अंग्रेजी अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक, वकील विशाल तिवारी की ओर से दायर याचिका में कहा गया है, “भारत में कोविशील्ड की 175 करोड़ से अधिक खुराकें दी जा चुकी हैं. कोविड 19 के बाद हार्ट अटैक का दौरा पड़ने और अचानक बेहोश होने से होने वाली मौतों में बढ़ोतरी हुई है.
युवाओं में भी दिल का दौरा पड़ने के कई मामले सामने आए हैं. अब कोविशील्ड के डेवलपर की ओर से ब्रिटेन की कोर्ट में दायर किए गए दस्तावेज के बाद, हम कोविशील्ड वैक्सीन के जोखिम और खतरनाक परिणामों पर सोचने के लिए मजबूर हैं, जो बड़ी संख्या में नागरिकों को दी गई है.”
सुप्रीम कोर्ट में लगाई गई याचिका में कहा गया कि शीर्ष कोर्ट के रिटायर्ड जज के नेतृत्व में एक समिति गठित की जाए और कोविशील्ट के दुष्प्रभावों की जांच की जाए. साथ ही याचिका में कहा गया कि समिति में एम्स, इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस, दिल्ली निदेशक और एक्सपर्ट को सदस्य के तौर पर शामिल किया जाए.