भारतीय प्रतिभूति विनिमय बोर्ड (सेबी) की ओर से फ्यूचर्स और ऑप्शन (एफएंडओ) ट्रेडिंग के नियमों को सख्त कर दिया गया है. अब इस सेगमेंट में कारोबार करने के लिए ट्रेडर्स को पहले के मुकाबले अधिक पैसे खर्च करने होंगे.
बाजार नियामक द्वारा अब इंडेक्स डेरिवेटिव में कॉन्ट्रैक्ट साइज की न्यूनतम वैल्यू को 5 लाख रुपये से बढ़ाकर 15 लाख रुपये कर दिया गया है. साथ ही साप्ताहिक एक्सपायरी को प्रति एक्सचेंज एक इंडेक्स तक सीमित कर दिया है. ऐसे में अब एक एक्सचेंज की ओर से सप्ताह में एक ही एक्सपायरी देखने को मिलेगी.
सेबी की ओर से जारी सर्कुलर में कहा गया कि डेरिवेटिव्स में उच्च जोखिम को देखते हुए और मार्केट की वृद्धि के अनुरूप कॉन्ट्रैक्ट के साइज में पुनर्संयोजन यह सुनिश्चित करेगा कि प्रतिभागियों के लिए अपेक्षित मानदंड बने रहें.
बाजार नियामक की ओर से यह कदम रिटेल निवेशकों द्वारा एफएंडओ सेगमेंट लगातार किए जा रहे बड़े नुकसान के कारण उठाया गया है.
हाल ही में सेबी की ओर से एक स्टडी जारी की गई थी. इसमें बताया गया था कि बीते तीन वर्षों में 1.10 करोड़ ट्रेडर्स की ओर से संयुक्त रूप से 1.81 लाख करोड़ रुपये का नुकसान किया गया है. इसमें से केवल 7 प्रतिशत ट्रेडर्स ही पैसा कमाने में सफल हुए हैं. इसके कारण बाजार से जुड़े कई लोगों ने एफएंडओ नियमों को सख्त बनाने की बात कही थी.
सेबी के इस आदेश के बाद निफ्टी और सेंसेक्स जैसे मुख्य सूचकांकों में डेरिवेटिव्स कॉन्ट्रैक्ट्स का साइज 5 लाख से 10 लाख रुपये से बढ़कर 15 लाख से 20 लाख रुपये हो जाएगा.
नए नियम 20 नवंबर, 2024 से सभी डेरिवेटिव्स कॉन्ट्रैक्ट्स पर लागू हो जाएंगे.
भारत में बीते कुछ वर्षों में डेरिवेटिव बाजार तेजी से बढ़ा है. जुलाई में सेबी के नोट में कहा गया था कि भारत के डेरिवेटिव मार्केट ने कैश मार्केट को भी पछाड़ दिया है. मौजूदा समय में कुल वैश्विक डेरिवेटिव ट्रेडिंग में से 30 से 50 प्रतिशत भारत में होती है.
आंकड़ों के मुताबिक, वित्त वर्ष 20 से लेकर वित्त वर्ष 24 में भारत में कैश मार्केट का टर्नओवर दोगुना हुआ है, जबकि इंडेक्स ऑप्शन का टर्नओवर 12 गुना बढ़कर वित्त वर्ष 24 में 138 लाख करोड़ रुपये हो गया है, जो कि वित्त वर्ष 20 में 11 लाख करोड़ रुपये था.