एसडीएम ने कहा कि समरावता गांव में सुबह 10 बजे तक एक भी वोट नहीं डाला गया था. जिसके बाद जिला कलेक्टर ने उन्हें मतदान केंद्र भेजा कि वह जाकर एक भी वोट डलवा दें ताकि 100 फीसदी बायकॉट नहीं हो. वहां पहुंचकर मैंने लोगों को वोट डालने के लिए समझाया. मैंने सिर्फ सरकारी आदेशों का पालन करते हुए टीचर, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और उसके पति को समझाकर वोट डलवाया. मैंने सिर्फ अपना काम किया, लेकिन इस बीच नरेश मीणा आ गए और उन्होंने बहस शुरू कर दिया.
वहीं, गिरफ्तारी से पहले मीडिया के सामने आकर नरेश मीणा ने कहा कि यहां लोग मतदान का बहिष्कार कर रहे थे. बावजूद इसके एसडीएम ने लोगों को धमकाया और उनसे वोट डलवाएं. एसडीएम ने आंगनबाड़ी महिला को सस्पेंड करने की भी धमकी दी. वह बीजेपी का एजेंट था और उसकी ड्यूटी जानबूझकर वहां लगाई गई थी. जब मुझे इस बात का पता चला तो मैं मतदान केंद्र पहुंच गया और कलेक्टर को बुलाने की बात कही, लेकिन दोपहर के 3.30 बजे तक कलेक्टर वहां नहीं पहुंची. साथ ही एसडीएम को थप्पड़ मारे जाने को भी नरेश मीणा ने सही बताया.
बता दें कि नरेश मीणा ने जब एसडीएम को थप्पड़ मारा तो उसे गिरफ्तार कर लिया गया था, लेकिन उनके समर्थकों ने गाड़ी पर पत्थरबाजी कर दी और नरेश मीणा को वहां से ले भागे. अगले दिन नरेश मीणा ने खुद ही पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर दिया. फिलहाल पुलिस मामले की जांच कर रही है. नरेण मीणा की बात करें तो उन पर पहले से ही 23 मुकदमे दर्ज हैं, जिनमें से 5 पर कार्रवाई शेष बची हुई है.