भारत जोड़ो यात्रा में आरबीआई के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने राहुल गांधी के साथ कदम ताल की और वो बीजेपी के निशाने पर आ गए. बीजेपी ने कहा कि जो इनाम मिला था उसका फर्ज निभाना ही होगा. बीजेपी के इस तरह के बयान के बाद कांग्रेस भी पीछे नहीं रही और आवाज आई कि मौजूदा मंत्रिमंडल में कोई ऐसा नहीं है जो काबिलियत के मोर्चे पर रघुराम राजन का मुकाबला कर सके.
इन सबके बीच अपनी यात्रा के दौरान राहुल गांधी स्पष्ट तौर पर मोदी सरकार की आर्थिक नीतियों की आलोचना करते हैं, उनके मुताबिक मोदी सरकार की आर्थिक नीतियों से देश का बुनियादी ढांचा कमजोर पड़ गया है. उनके सुर को समर्थन देते हुए पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने कहा कि अगले वर्ष भारत की तरक्की पर ग्रहण लगने वाला है. जिस तरह से इंट्रेस्ट रेट में इजाफा हुआ है उससे 5 फीसद ग्रोथ रेट(Indian economy growth rate) को हासिल करना मुश्किल होगा.
रघुराम राजन ने कहा कि ग्रोथ नंबर के साथ समस्या यह है कि आप किस संबंध में माप रहे हैं. अगर पिछले साल आपकी तिमाही खराब रही और आप इसके संबंध में माप कर रहे हैं, तो आप बहुत अच्छे दिख रहे हैं.तो आदर्श रूप से आप 2019 में महामारी से पहले क्या देख रहे हैं, और अभी देखें.
और यदि आप 2022 की तुलना में देखें, तो यह लगभग 2% प्रति वर्ष है. यह हमारे लिए बहुत कम है. मंदी के पीछे के कारण के बारे में पूछे जाने परआरबीआई के पूर्व प्रमुख ने कहा कि कोविड -19 महामारी समस्या की वजह थी. उन्होंने कहा कि देश विकास के लिए आवश्यक सुधार उठाने में विफल रहा.
बढ़ती आर्थिक असमानता की चुनौतियों पर उन्होंने कहा कि उच्च मध्यम वर्ग की आय में वृद्धि हुई क्योंकि वे कोविड-19 महामारी के दौरान घर से काम कर सकते थे लेकिन कारखानों में काम करने वालों की कमाई खत्म हो गई. महामारी के दौरान यह खांईं और बढ़ गई. अमीरों को कोई समस्या नहीं थी.
निम्न वर्ग को राशन और अन्य चीजें मिलीं लेकिन निम्न मध्यम वर्ग को बड़ा नुकसान हुआ. नौकरियां नहीं थीं, बेरोजगारी बढ़ी. निम्न मध्यम वर्ग को ध्यान में रखते हुए नीतियां बनाई जानी चाहिए जो कोरोनोवायरस महामारी के कारण सबसे अधिक पीड़ित रहे हैं.