आप के राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा पर एक प्रस्ताव पर बिना सहमति के कुछ सांसदों का नाम डालने का आरोप लगाया गया है, जिसके बाद अब उनके खिलाफ संसद की विशेषाधिकार समिति जांच की जांच चल रही है. इस मामले को लेकर अब आम आदमी पार्टी और खुद राघव चड्ढा की तरफ से एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की गई है. जिसमें आरोप लगाया गया कि राहुल गांधी की ही तरह राघव चड्ढा की सदस्यता भी छीनने की कोशिश की जा रही है.
इस दौरान प्रेस कॉन्फ्रेंस में मौजूद आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह ने कहा, “बीजेपी तानशाही घोषित कर दे, लोकतंत्र का ड्रामा क्यों कर रही है? मोदी सरकार ने एक नई परंपरा शुरू की है. जो भी मोदी जी के खिलाफ बोलेगा, उसे सरकार निलंबित कर देगी, सदस्यता छीन लेगी या एफआईआर कर देगी.
दुनिया की सबसे बड़ी अफवाह कंपनी बीजेपी के गृहमंत्री अमित शाह झूठ बोलते हैं कि फर्जी साइन कर दिए. जबकि सलेक्शन कमेटी के लिए किसी भी सदस्य का नाम प्रस्तावित किया जा सकता है, इसके लिए सिग्नेचर की जरूरत नहीं है. इनका मक़सद एक ही है कि जैसे राहुल गांधी की सदस्यता छीनी, वैसे ही राघव चड्ढा की सदस्यता छीनी जाए.”
राघव चड्ढा भी इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में मौजूद थे, खुद पर लगे आरोपों को लेकर उन्होंने कहा, बीजेपी का मूलमंत्र है – Repeat a Lie 1000 Times, and it’ll be taken as Truth‼️ मेरे खिलाफ प्रोपेगेंडा शुरू किया गया कि मेरे हस्ताक्षर में फर्जीवाड़ा हो गया. प्रिविलेज कमेटी के केस के बाद अमूमन कोई पब्लिक स्टेटमेंट नहीं दी जाती, पर मजबूरन मुझे बीजेपी के झूठ का पर्दाफाश करने के लिए बोलना पड़ रहा है.
राज्य सभा रूल बुक में लिखा है कि किसी का नाम सेलेक्ट कमेटी में प्रस्तावित करने के लिए सिग्नेचर नहीं चाहिए. सिग्नेचर की जब जगह ही नहीं, जरूरत ही नहीं तो फर्जीवाड़ा कैसा? ये आरोप इसलिए सरासर झूठा और बेबुनियाद है
आप सांसद राघव चड्ढा ने आगे कहा कि मैं बीजेपी को चुनौती देता हूं कि वो कागज दिखाए, जिस पर फर्जी सिग्नेचर हैं. जब भी कोई विवादित बिल आता है तो उस पर अधिक चर्चा के लिए सलेक्शन कमेटी बनाई जा सकती है, जिसमे सदस्यों का नाम प्रस्तावित किया जा सकता है. जिसे उस कमेटी में नहीं रहना होता है, वो नाम वापस ले लेता है. इसमें सिग्नेचर की जरूरत ही नहीं है.
क्या है पूरा मामला
दरअसल 7 अगस्त को दिल्ली सर्विसेज (अमेंडमेंट) बिल पास पाने होने के बाद आप सांसद राघव चड्ढा ने इस बिल को सिलेक्ट कमेटी के पास भेजने का प्रस्ताव पेश किया. इस प्रस्ताव का जिक्र अमित शाह ने संसद में किया, उन्होंने आरोप लगाया कि चार सांसदों के नाम बिना सहमति के प्रस्ताव में शामिल किए गए. शाह ने इसकी जांच करने की बात कही थी.