‘विकसित भारत संकल्प यात्रा’ के लाभार्थियों से बोले पीएम मोदी, ‘जिनको कोई नहीं पूछता उनको मोदी पूजता है’

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार (9 दिसंबर) को ‘विकसित भारत संकल्प यात्रा’ के लाभार्थियों से वर्चुअली बातचीत की. इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि, “देश भर के गांवों में करोड़ों परिवारों को हमारी सरकार की किसी न किसी योजना से निश्चित रूप से लाभ हुआ है, और जब किसी को यह लाभ मिलता है, तो उसका आत्मविश्वास बढ़ता है. जीवन जीने की एक नई ताकत आती है. पीएम मोदी ने कहा कि अगर भारत का युवा अगर मेहनत करना तय कर ले तो कैसे नई दुनिया खड़ी कर देता है और वो न सिर्फ रोजगार की इच्छा करता है बल्कि वो दो-चार लोगों को रोजगार देता भी है.

इस दौरान पीएम मोदी ने लाभार्थियों से विकसित भारत संकल्प यात्रा से मिली लाभ के बारे में भी जानकारी ली. इस दौरान पीएम मोदी ने कश्मीर के लाभार्थियों से भी बातचीत की. पीएम मोदी ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में जो सकारात्मक वातावरण बना है. इससे पूरे देश को सकारात्मक संकेत जाता है. पीएम मोदी ने कहा कि आज जम्मू-कश्मीर-लद्दाख से लेकर पूरे देश के लोग विकसित भारत संकल्प यात्रा से जुड़ रहे हैं.

पीएम मोदी ने कहा कि, “जिनके लिए सरकारी दफ्तरों के दरवाजे तक बंद हैं, जिनको कोई नहीं पूछता है, उनको मोदी सबसे पहले पूछता है, मोदी पूछता ही नहीं है बल्कि मोदी पूजता भी है. मेरे लिए तो देश का हर गरीब मेरे लिए वीआईपी है. देश की हर माता, बहन बेटी मेरे लिए वीआईपी है. देश का हर किसान मेरे लिए वीआईपी है. देश का हर युवा मेरे लिए वीआईपी है.”

देश के पांच राज्यों में हुए चुनाव के बारे में पीएम मोदी ने कहा कि, ‘विधानसभा चुनावों के परिणामों की आज भी बहुत चर्चा हो रही है, इन चुनाव नतीजों ने साबित कर दिया कि मोदी की गारंटी में ही दम है.’ पीएम मोदी ने कहा कि, मैं सभी मतदाताओं का आभारी हूं जिन्होंने मोदी की गारंटी पर भरोसा किया. इसके साथ ही पीएम मोदी विपक्षी दलों पर भी निशाना साधा. पीएम मोदी ने कहा कि, “जो हमारे विरोध में खड़े हैं उनपर देश को भरोसा क्यों नहीं है.”

पीएम मोदी ने विपक्षी दलों खासकर कांग्रेस पर तंज कसते हुए कहा कि, “कुछ राजनीतिक दलों को ये सीधी बार समझ नहीं आ रही कि झूठी घोषणाएं करके वो कुछ हासिल नहीं कर पाएंगे. चुनाव सोशल मीडिया पर नहीं जनता के बीच जाकर जीतना होता है, चुनाव जीतने से पहले जनता का दिल जीतना आवश्यक होता है,. जनता के विवेक को कम आंकना ठीक नहीं है. अगर कुछ राजनीतिक दलों ने राजनीतिक स्वार्त्य के बजाए सेवा भाव को सर्वोपरि रखा होता, तो देश की बहुत बड़ी आबादी अभाव में, मुसीबतों में, तकलीफों में न रहती, दशकों तक सरकार चलाने वालों ने अगर ईमानदारी से काम किया होता तो जो गारंटी मोदी को आज देने पड़ रही है वो गारंटी 50 साल पहले ही पूरी हो गई होती.”

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