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संसद का बजट सत्र आज से, निलंबित सांसद भी होंगे शामिल- ये होंगे मुख्य एजेंडे!

सांकेतिक फोटो
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संसद का बजट सत्र आज यानी 31 जनवरी से शुरू हो रहा है जो 9 फरवरी तक चलेगा. नई संसद में पहली बार राष्ट्रपति का अभिभाषण होगा. आज राष्ट्रपति के अभिभाषण से ही सत्र की शुरुआत होगी. सुबह 11 बजे नई संसद में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु का अभिभाषण होगा. इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सुबह 10.15 बजे मीडिया से बातचीत करेंगे. 17वीं लोकसभा का 15वां सत्र आज से शुरू हो रहा है और चुनाव से पहले इस सरकार का आखिरी संसद सत्र है. इस सत्र के दौरान 1 फरवरी को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण देश के सामने अंतरिम बजट प्रस्तुत करेंगी. माना जा रहा है कि जम्मू-कश्मीर से जुड़े वित्तीय बिल समेत कई अहम बिल सदन में पेश होंगे.

सर्वदलीय बैठक में क्या हुआ
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह की अगुवाई में हुई सर्वदलीय बैठक के दौरान विपक्षी नेताओं ने कई मुद्दे उठाए. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता के. सुरेश ने कहा कि पार्टी सत्र के दौरान बेरोजगारी, महंगाई, कृषि संकट और जातीय हिंसा प्रभावित मणिपुर की स्थिति का मुद्दा उठाएगी. तृणमूल कांग्रेस नेता सुदीप बंदोपाध्याय ने कहा कि वित्त मंत्री को अंतरिम बजट में विभिन्न केंद्रीय योजनाओं के तहत पश्चिम बंगाल के बकाये को भी शामिल करना चाहिए. उन्होंने कहा, ‘यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि एक मुख्यमंत्री को राज्य को केंद्रीय बकाया के समय पर आवंटन की मांग के लिए धरने पर बैठना पड़ा.’ समाजवादी पार्टी के नेता एसटी हसन ने पूजा स्थल अधिनियम को मजबूत करने के लिए कदम उठाने की मांग की. यह अधिनियम धार्मिक स्थलों के 15 अगस्त 1947 की यथास्थिति के अनुरूप उनके धार्मिक स्वरूप को बनाये रखने और उनके रूपांतरण को प्रतिबंधित करता है.

क्या होगा मुख्य एजेंडा
संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने मंगलवार को हुई सर्वदलीय बैठक में कहा कि सीतारमण जम्मू-कश्मीर के लिए भी बजट पेश करेंगी, जहां राष्ट्रपति शासन है. जोशी ने कहा कि 17वीं लोकसभा के 9 फरवरी को समाप्त होने वाले इस संक्षिप्त सत्र का मुख्य एजेंडा राष्ट्रपति का अभिभाषण, अंतरिम बजट की प्रस्तुति और राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा तथा इसका प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा जवाब दिया जाना है. बैठक के बाद संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा कि बैठक में बातचीत ‘‘बहुत सौहार्दपूर्ण’’ रही और सरकार इस छोटे सत्र के दौरान हर मुद्दे पर चर्चा के लिए तैयार है. जोशी ने कहा कि सरकार के पास बजट सत्र के लिए कोई विधायी एजेंडा नहीं है और इसका मुख्य जोर राष्ट्रपति के अभिभाषण, धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा, अंतरिम बजट की प्रस्तुति और जम्मू-कश्मीर के बजट पर होगा. जोशी ने कहा, ‘उन्होंने सुझाव दिए हैं, लेकिन चूंकि यह वर्तमान लोकसभा का आखिरी सत्र है. हमने कहा है, हम उन्हें अगले सत्र में मौका देंगे.’

कौन-कौन शामिल
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष शरद पवार, जनता दल (यूनाइटेड) के रामनाथ ठाकुर और तेलुगू देशम पार्टी के जयदेव गल्ला सर्वदलीय बैठक में उपस्थित नेताओं में शामिल थे. राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खरगे का बैठक में प्रतिनिधित्व करने वाले कांग्रेस सांसद प्रमोद तिवारी ने कहा कि उन्होंने असम में राहुल गांधी के नेतृत्व वाली ‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा’ पर ‘‘हिंसक हमले’’ और उस पर राज्य सरकार द्वारा लगाई गई पाबंदियों का मुद्दा उठाया. उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और राष्ट्रीय जनता दल के प्रमुख लालू प्रसाद जैसे विपक्षी नेताओं को निशाना बनाने के लिए सीबीआई और ईडी का दुरुपयोग कर रही है.

हर सत्र से पहले होती है सर्वदलीय बैठक
बता दें कि प्रत्येक सत्र से पहले एक सर्वदलीय बैठक बुलाने की प्रथा है. सर्वदलीय बैठक में विभिन्न दलों के नेता उन मुद्दों को उजागर करते हैं जिन्हें वे संसद में उठाना चाहते हैं. सरकार उन्हें अपने एजेंडे की एक झलक बताती है और उनका सहयोग मांगती है.


बजट सत्र में भाग ले सकेंगे विपक्ष के 14 निलंबित सांसद
विपक्ष के वे 14 सांसद आज से आरंभ हो रहे बजट सत्र में भाग ले सकेंगे, जिन्हें शीतकालीन सत्र के दौरान निलंबित करने के साथ ही उनके मामले को विशेषाधिकार समितियों के पास भेज दिया गया था. संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा कि इन सांसदों के संदर्भ में सरकार के आग्रह पर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला और राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने सहमति जताई है. लोकसभा और राज्यसभा से संबंधित विशेषधिकार समितियों ने सिफारिश की थी कि शीतकालीन सत्र के दौरान के अपने आचरण के लिए खेद व्यक्त करने के बाद सांसदों का निलंबन वापस लिया जाए. दोनों सदनों में कुल 146 विपक्षी सांसदों का निलंबन हुआ था. इनमें से 100 लोकसभा सदस्य और 46 राज्यसभा सदस्य शामिल थे. इनमें 132 सांसदों का निलंबन शीतकालीन सत्र के लिए था, लेकिन 14 सांसदों के मामलों को दोनों सदनों की विशेषाधिकार समितियों के पास भेज दिया गया था.

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