स्वतंत्रता सेनानी और महात्मा गांधी के अनुयायी पी गोपीनाथन नायर की मंगलवार को मृत्यु हो गई. पी गोपीनाथन का 99 वर्ष की उम्र में एक प्राइवेट अस्पताल में देहांत हो गया. लंबी उम्र के चलते उन्हें कई तरह की बीमारी थी, जिसकी वजह से उनका निधन हो गया.
पी गोपीनाथन नायर को 2016 में पद्मश्री अवॉर्ड से सम्मानित किया गया था. पी गोपीनाथन नायर के निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी दुख जाहिर किया है. पीएम मोदी ने पी गोपीनाथन के निधन पर दुख जाहिर करते हुए ट्वीट करके लिखा, पी गोपीनाथन नायर को दएश के स्वंत्रता आंदोलन के संघर्ष के लिए याद किया जाएगा, जिस तरह से उन्होंने गांधीवादी सिद्धांतों का पालन किया उसके लिए वह याद किए जाएंगे. उनके निधन से मैं दुखी हूं, उनके परिवार और शुभचिंतकों के प्रति मैं अपनी संवेदना व्यक्त करता हूं, ओम शांति.
बता दें कि गोपीनाथ नायर ने अपनी पूरे जीवन में गांधीवादी सिद्धांतों को जिया. उन्होंने क्विट इंडिया आंदोलन में 1942 में हिस्सा लिया था, उन्होंने विनोबा भावे के सामिलकर भूदान और ग्रामदान आंदोलन में काम किया था. जब गांधी जी केरल आए थे तो नायर की उनसे करीब से मुलाकात हुई थी और वह गांधी जी से काफी प्रेरित हुए थे, जिसके बाद से ही उन्होंने गांधीवादी सिद्धांतों को अपनी जीवन में उतार लिया. नायर ने 11 साल तक गांधी सेवाग्राम आश्रम में अध्यक्ष का पद भी संभाला था.
गोपीनाथन नायर का जन्म 1922 में नेयट्टिनकारा में हुआ था. उन्होंने शांति निकेतन से पढ़ाई की थी. शांति निकेतन ने गोपीनाथन के जीवन पर गहरा असर डाला था. इसके बाद वह विश्व भारती विश्वविद्यालय में 1946-48 के बीच शोध के छात्र रहे. इसके बाद 1951 में उन्होंने गांधी स्मारक निधि के लिए काम करना शुरू कर दिया.
गांधी स्मारक निधि की शुरुआत पुनर्जागरण के नेता के कलप्पन ने की थी. केरल के मुख्यमंत्री पिनारयी विजयन ने भी गोपीनाथन नायर के निधन पर दुख जाहिर किया है.