बालासोर| ओडिशा के बालासोर में शुक्रवार को हुई रेल दुर्घटना के बाद प्रभावित पटरियों पर यात्री ट्रेनों की आवाजाही फिर से शुरू हो गई है. सोमवार सुबह से अब तक दो एक्सप्रेस चल चुकी है. पहले सलीमा एक्सप्रेस प्रभावित रेल लाइस से गुजरी और बाद में पुरुषोत्तम एक्सप्रेस. बीती रात रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव की मौजूदगी में मालगाड़ी का परीक्षण किया गया था.
बालासोर में भयानक ट्रिपल ट्रेन दुर्घटना के 51 घंटे बाद अप और डाउन दोनों लाइनों पर क्षतिग्रस्त पटरियों की मरम्मत कर दी गई और सेवाएं फिर से शुरू हो गईं हैं. रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने रविवार को एक मालगाड़ी के चालक दल का अभिवादन किया और सुरक्षित यात्रा के लिए प्रार्थना की.
रविवार को एएनआई से बात करते हुए रेल मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा संबंधित निर्देश भेजे जाने के तुरंत बाद क्षतिग्रस्त पटरियों के पुनर्निर्माण का काम शुरू हो गया. उन्होंने कहा, ‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रेल पटरियों की बहाली पर अपनी सलाह और निर्देश दिए. पूरी टीम (पुनर्स्थापना कार्य में शामिल) ने सेवाओं को फिर से शुरू करने के लिए क्षतिग्रस्त पटरियों को ठीक करने के लिए लगन और व्यवस्थित रूप से काम किया.’
रेल मंत्री ने कहा कि ट्रेन के पटरी से उतरने की घटना के 51 घंटे बाद सेवाओं को फिर से शुरू करने से पहले दोनों लाइनों का पुनर्निर्माण और परीक्षण किया गया था. अश्विनी वैष्णव ने कहा, ‘दोनों पटरियों पर सेवाएं बहाल कर दी गई हैं. दुर्घटना के 51 घंटे बाद दोनों लाइनों पर सामान्य ट्रेन सेवाएं फिर से शुरू कर दी गई हैं.’
बालासोर जिले में शुक्रवार (2 जून) की शाम लगभग सात बजे शालीमार-चेन्नई सेंट्रल कोरोमंडल एक्सप्रेस और बेंगलुरु-हावड़ा एक्सप्रेस ट्रेन के पटरी से उतरने और एक मालगाड़ी से टकराने से यह हादसा हुआ. दोनों यात्री ट्रेन में करीब 2500 यात्री सवार थे. दुर्घटना में 21 डिब्बे पटरी से उतर गए और गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त हो गए, जिससे सैकड़ों यात्री फंस गए. हादसे में 275 यात्रियों की मौत हुई है, जबकि 1,175 जख्मी हैं. घायलों का उपचार सोरो, बालासोर, भद्रक और कटक के विभिन्न अस्पतालों में हो रहा है. अब तक 88 शवों की पहचान की जा चुकी है और 78 शवों को उनके परिवारों को सौंप दिया गया है.
रेलवे ने ओडिशा ट्रेन हादसे में चालक की गलती और प्रणाली की खराबी की संभावना से इनकार किया तथा संभावित ‘तोड़फोड़’ और ‘इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग’ प्रणाली से छेड़छाड़ का संकेत दिया. दोनों यात्री रेलगाड़ियां तीव्र गति से चल रही थीं और विशेषज्ञों ने इसे हताहतों की अधिक संख्या के मुख्य कारणों में से एक बताया है.