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एकीकृत पेंशन योजना का नोटिफिकेशन जारी, 1 अप्रैल से लागू होंगे यूपीएस के नए नियम

पेंशन निधि विनियामक और विकास प्राधिकरण (PFRDA) ने गुरुवार (20 मार्च) को केंद्रीय कर्मचारियों के लिए एकीकृत पेंशन योजना (UPS) को लेकर नोटिफिकेशन जारी किया है. इसके तहत अब केंद्र सरकार के कर्मचारियों को रिटायरमेंट से पहले आखिरी के 12 महीनों में मिलने वाले औसत वेतन के 50 फीसदी के समान पेंशन मिलेगी. बता दें कि इससे पहले 24 जनवरी 2025 को यूपीएस अधिसूचना जारी की गई थी. जो राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली के अंतर्गत आने वाले केंद्रीय कर्मचारियों के लिए थी.

1 अप्रैल से लागू होंगे यूपीएस के नए नियम
अधिसूचना को जारी करते हुए पीएफआरडीए ने कहा है कि नए नियम 1 अप्रैल 2025 से लागू हो जाएंगे. जिसके तहत 1 अप्रैल 2025 तक केंद्रीय सेवा में तैनात कर्मचारी जो एनपीएस के तहत आते हैं और जो नए भर्ती केंद्रीय कर्मचारी जो अप्रैल, 2025 को या उसके बाद सेवा में शामिल होंगे उन्हें इसके लिए नामांकन करना होगा.

केंद्रीय कर्मचारियों के लिए इन सभी श्रेणियों के लिए नामांकन और दावा फॉर्म 1 अप्रैल, 2025 शुरू हो जाएगा. ऐसे कर्मचारी विभाग की आधिकारिक वेबसाइट https://npscra.nsdl.co.in पर जाकर ऑनलाइन आवेदन कर पाएंगे. इसके साथ ही कर्मचारी भौतिक रूप से भी फार्म जमा कर सकेंगे.

विभागीय अधिसूचना में कहा गया है कि केंद्रीय कर्मचारी के सेवा से हटाए जाने या बर्खास्त किए जाने या त्यागपत्र देने वाले कर्मचारियों को यूपीएस या अन्य भुगतान नहीं किया जाएगा. नोटिफिकेशन में कहा गया है कि पूर्ण भुगतान की दर 25 साल की न्यूनतम सेवा के अधीन और सेवानिवृत्ति से ठीक पहले 12 महीने के औसत मूल वेतन का 50 प्रतिशत होगी.

बता दें कि इस अधिसूचना से 23 लाख सरकारी कर्मचारियों को यूपीएस और एनपीएस के बीच चयन करने का विकल्प भी मिलेगा, जो 1 जनवरी 2004 से लागू हुआ था. बता दें कि पिछले साल 24 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने यूपीएस को मंजूरी दी थी.

कर्मचारियों को मिलेगा यूपीएस और एनपीएस चुनने विकल्प
इस अधिसूचना से 23 लाख केंद्रीय कर्मचारियों को यूपीएस और एनपीएस का विकल्प चुनने का मौका मिलेगा. बता दें कि जनवरी, 2004 से पहले प्रभावी पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) के तहत कर्मचारियों को उनके कार्यकाल के अंतिम मूल वेतन का 50 प्रतिशत पेंशन के रूप में मिलता था. वहीं ओपीएस के विपरीत यूपीएस अंशदायी प्रकृति की है. इसमें कर्मचारियों को अपने मूल वेतन और महंगाई भत्ते का 10 फीसदी योगदान देना होगा. वहीं नियोक्ता यानी केंद्र सरकार का योगदान 18.5 प्रतिशत होगा.

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