राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) ने 15 अप्रैल को यूपी के प्रयागराज जिले में पुलिस हिरासत में अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की हत्या के मामले में संज्ञान लिया है. NHRC ने उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक और प्रयागराज पुलिस आयुक्त को नोटिस जारी कर चार हफ्ते के अंदर रिपोर्ट मांगी है. वहीं माफिया अतीक अहमद की हत्या सहित कई एनकाउंटर की जांच के लिए स्वतंत्र आयोग गठित करने की मांग वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई के लिए तैयार हो गया है. CJI डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने मामले को 24 अप्रैल को सुनवाई के लिए रखा है.
बता दें कि उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में एक मेडिकल कॉलेज में जांच के लिए पुलिसकर्मियों द्वारा ले जाने के दौरान 60 साल के अतीक अहमद और उसके अशरफ पर तीन हमलावरों ने गोलियां चला दी. इस दौरान दोनों वहां मौजूद पत्रकारों के सवालों का जवाब दे रहे थे. बता दें कि इससे पहले 13 अप्रैल को झांसी में पुलिस मुठभेड़ में अतीक के बेटे असद का एनकाउंटर किया गया था. उसके अंतिम संस्कार के कुछ घंटे बाद ही अतीक और अशरफ की हत्या कर दी गई थी.
प्रयागराज में माफिया अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की पुलिस कस्टडी में हत्या कर दी गई. इस दौरान मौजूद उत्तर प्रदेश पुलिस के 18 जवान और अफसर मुश्किलों में फंसते नजर आ रहे हैं. पिछले कुछ साल से अपराधियों के खिलाफ लगातार सफल एनकाउंटर को अंजाम देने का दावा करने वाली यूपी पुलिस के भारी सुरक्षा बंदोबस्त को भेदते हुए तीन युवकों ने अतीक और उसके भाई को गोली मार दी.
मीडिया की मौजूदगी में हुई इस घटना को लाइव देखा गया. पुलिस तीनों आरोपियों को जिंदा पकड़ने में कामयाब रही. एक हिंदी अख़बार की एक खबर के मुताबिक इसके साथ ही पुलिस को कई तरह के सवालों का सामना करना पड़ा रहा है. कहा जा रहा कि मुठभेड़ों के लिए मशहूर यूपी की पुलिस फोर्स आखिर अतीक और अशरफ पर हमला करने वालों को मौके पर ही मार गिराने में नाकाम क्यों रही?
यूपी के एक रिटायर सीनियर पुलिस अफसर ने कहा कि ये सब कुछ इतनी जल्दी हुआ कि पुलिस को समय नहीं मिला. वहीं एक एक दूसरे रिटायर आईपीएस अफसर ने कहा कि अगर तीनों को मौके पर ही ढेर कर दिया गया होता, तो दोनों हत्याओं के पीछे की साजिश को उजागर करने का कोई रास्ता नहीं बचता