सतना| मैहर के प्रसिद्ध शारदा मंदिर में अब मुस्लिम समुदाय के कर्मचारी नहीं होंगे. साथ ही इस धार्मिक नगरी में अब मांस मदिरा की दुकानें भी बंद होंगी. सरकार ने इस संबंध में आदेश जारी कर दिया है. सरकार के इस आदेश से बरसों से मांई की सेवा कर रहे मुसलमान कर्मचारियों पर संकट आ गया है.
मैहर मांई के मंदिर में पिछले 35 साल से दो मुसलमान कर्मचारी अपनी सेवा देते आ रहे हैं. ये हैं आबिद हुसैन- विधिक सलाहकार और अयूब- जलव्यवस्था प्रभारी. दोनों नियमित कर्मचारी हैं. लेकिन सरकार के इस आदेश से दोनों की नौकरी संकट में आ गयी है. मैहर शारदा प्रबंध समिति में ये दो मुस्लिम कर्मचारी 1988 से काम कर रहे हैं. लेकिन अब हिन्दू संगठनों की मांग पर धार्मिक न्यास मंत्री के हवाले से ये सरकारी आदेश जारी हुया है.
शारदा प्रबंध समिति से मुस्लिम कर्मचारी हटाने का आदेश पांच अप्रैल को जारी हुआ है. ये पत्र अब शारदा प्रबंध समिति को मिल गया है. पत्र में उल्लेख है कि मैहर मंदिर में मुस्लिम कर्मचारी काम नहीं करेंगे. साथ ही मैहर में मांस मदिरा की दुकानें भी नहीं होंगी. उन्हें हटाने के आदेश हुए हैं. मंत्री के हवाले से ये पत्र उप सचिव पुष्पा कलेश के हस्ताक्षर से जारी हुआ है. इस आदेश के तहत आबिद और अयूब खान नामक कर्मचारी की मुश्किल बढ़ गई.
1988 से पदस्द कर्मचारी आबिद और अयूब को नौकरी जाने का खतरा मंडरा रहा है. दोनों 35 साल से माई की सेवा में लीन थे. हालांकि प्रशासक मां शारदा प्रबंध समिति धर्मेंद्र मिश्रा का मौखिक कहना है पत्र मिल चुका है. शारदा प्रबंध समिति की बैठक में मामला रखा जाएगा और बैठक में जो निर्णय उस आधार पर कार्रवाई की जाएगी.
सतना जिले के हिदू संगठनों ने मंत्री उषा ठाकुर को ज्ञापन देकर मंदिर से मुस्लिम कर्मचारियों को हटाने की मांग की थी. इसी मांग पर मंत्री ने विभाग को निर्देश दिया और तीन दिन में पालन प्रतिवेदन देने की बात कही. इस फैसले को हिन्दू संगठन अपनी जीत मान रहा है और जल्द माता की भव्य आरती करने की रणनीति बना रहे हैं. मगर सवाल ये है जब मंदिर दर्शन में जाति का कोई बंधन नहीं तो कर्मचारी की जाति के आधार पर रोजी रोटी क्यों छीनी जा रही है.
मैहर मां शारदा के उस्ताद अलाउद्दीन खान महान उपासक थे. उन्होंने मैहर बैंड बनाया था. सर्वधर्म समभाव की ऐसी नगरी में सरकार का ये फैसला सबको हैरान कर रहा है. इस पत्र के मामले में प्रशासन मीडिया से बात करने तैयार नहीं है.