शुक्रवार को 20 अक्टूबर को निठारी हत्याकांड मामले का आरोपी मोनिंदर सिंह पंढेर ग्रेटर नोएडा की लुक्सर जेल से रिहा हो गया. पूरे देश में हड़कंप मचाने वाले इस मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उसे सभी आरोपों से बरी कर दिया था. हाई कोर्ट ने गाजियाबाद सीबीआई कोर्ट के आदेश को पूरी तरह पलट दिया था.
कोर्ट ने मनिंदर सिंह पंढेर और उसके केयर टेकर सुरेंद्र कोली की अपीलों पर सुनवाई की और जांच एजेंसी की विवेचना को सही नहीं माना. दोनों आरोपियों को बरी करते वक्त कोर्ट ने कहा था कि इस मामले का कोई चश्मदीद गवाह नहीं था. इस बीच दोनों आरोपियों के बरी होने पर कानूनी प्रक्रिया पर ही गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं.
गौरतलब है कि निठारी हत्याकांड मामले में मोनिंदर सिंह और सुरेंद्र कोली को बरी करते हुए इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने भी कड़े सवाल खड़े किए थे. हाई कोर्ट ने कहा था कि इस निर्मम मामले की जांच बेहद ढीले तरीके से की गई. कोर्ट ने साफ कहा कि नौकर यानी कोली को फंसा कर विलेन बना दिया गया.
जबकि हत्याओं के पीछे का कारण मानव अंग व्यापार होने की प्रबल संभावनाओं को सीबीआई ने देखा तक नहीं. निठारी मामले में मानव अंग व्यापार की संभावना की जांच तक नहीं की गई, जबकि घटनास्थल के पास के ही घर से किडनी मामले के आरोपी की गिरफ्तारी हुई थी. अदालत ने कहा कि जिस तरह से गिरफ्तारी, बरामदगी और इकबालिया बयान जैसे महत्वपूर्ण पहलुओं को हल्के तरीके से लिया गया, वो चिन्ताजनक है.