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हिंडनबर्ग रिसर्च की नई रिपोर्ट से देश में छिड़ा सियासी घमासान, मल्लिकार्जुन खरगे ने केंद्र सरकार को घेरा

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अमेरिकी संस्था हिंडनबर्ग रिसर्च की नई रिपोर्ट से देश में सियासी घमासान छिड़ गया है. कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने केंद्र सरकार को घेरा है. उन्होंने कहा है कि जब तक इस महा घोटाले में जॉइंट पार्लियामेंट्री कमेटी (JPC) की जांच नहीं हो जाती है. जब तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संवैधानिक संस्थाओं को ताक पर रखकर अपने A1 मित्र की मदद करते रहेंगे. इस तरह खरगे ने पूरे मामले की जेपीसी से जांच की मांग की है.

कांग्रेस अध्यक्ष खरगे ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट किया है, जिसमें उन्होंने लिखा, ‘SEBI ने माननीय सुप्रीम कोर्ट के समक्ष मोदी जी के परम मित्र अडानी को हिंडनबर्ग के जनवरी 2023 के खुलासों में Clean Chit दी थी. आज उसी SEBI के मुखिया के तथाकथित वित्तीय रिश्ते उजागर हुए हैं.’

उन्होंने आगे लिखा, ‘मध्यम वर्ग से संबंधित छोटे और मध्यम निवेशकों, जो अपनी मेहनत की कमाई शेयर बाजार में निवेश करते हैं, उनको संरक्षित करने की आवश्यकता है, क्योंकि वे SEBI में विश्वास करते हैं. जब तक इस महा-घोटाले में JPC जांच नहीं होगी, तब तक मोदी जी अपने A1 मित्र की मदद करते रहेंगे और देश की संवैधानिक संस्थाएं तार-तार होती रहेंगी.’

हालांकि, भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) सांसद ने हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के रिलीज होने के समय को लेकर विपक्ष पर ही सवाल खड़े किए हैं. उन्होंने कहा कि, ‘पिछले कुछ सालों में जब भी संसद सत्र शुरू होता है. कोई विदेशी रिपोर्ट जारी हो जाती है.’

उन्होंने आगे कहा, ‘संसद सत्र से ठीक पहले जनवरी में हिंडेनबर्ग की रिपोर्ट आई थी. उस दौरान भी संसद सत्र चल रहा था. विपक्ष के विदेश से ऐसे संबंध हैं कि वे भारत के हर संसद सत्र के दौरान अस्थिरता और अराजकता पैदा करते हैं. वे भ्रम फैलाकर भारत में आर्थिक अराजकता पैदा करना चाहते हैं. अब वे सेबी पर हमला कर रहे हैं.’

हिडनबर्ग की नई रिपोर्ट में क्या?
हिंडनबर्ग की नई रिपोर्ट को लेकर कांग्रेस और बीजेपी आमने-सामने आ गई हैं. उनमें जुबानी जंग छिड़ी हुई है. आरोप-प्रत्यारोप लगाए जा रहे हैं. कांग्रेस बीजेपी से और बीजेपी कांग्रेस से सवाल पर सवाल पूछ रही है. हिंडनबर्ग की रिपोर्ट में सेबी की चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच और उनके पति धवल बुच को घेरा है. रिपोर्ट में दावा किया है कि दोनों के पास गौतम अडानी के ‘पैसे की हेराफेरी’ में इस्तेमाल किए गए दो ऑफशोर फंड में हिस्सेदारी थी. हालांकि सेबी प्रमुख और अडानी ने आरोपों का खंडन किया है.



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