बिहार में बढ़ते सियासी घमासान के बीच बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव को बड़ा झटका लगा है. लोकसभा चुनाव 2024 की तैयारियों के बीच मध्य प्रदेश के ग्वालियर एमपी-एमएलए कोर्ट ने लालू प्रसाद यादव के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया है. वहीं ग्वालियर कोर्ट ने यह वांरट ‘आर्म्स एक्ट’ के मामले में जारी किया है. बता दें कि इस मामले में पूर्व मुख्यमंत्री लालू यादव को फरार घोषित कर दिया गया था. उस वक्त पुलिस की जांच में सामने आया था कि फर्जी दस्तावेजों के जरिए एक हथियार डीलर से हथियार खरीदे थे.
इसके साथ ही आपको बता दें कि, पुलिस को यह भी पता चला कि खरीदे गए हथियारों की सप्लाई कई जगहों पर की जा रही थी. बता दें कि उनके खिलाफ यह मामला एमपी-एमएलए कोर्ट में तब ट्रांसफर किया गया जब कोर्ट को यकीन हो गया कि दस्तावेज में जिस लालू यादव का जिक्र है वह बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री हैं. अब इस खबर ने बिहार के सियासी गलियारों में और हलचल मचा दी है.
आपको बता दें कि मिली जानकारी के मुताबिक, ”साल 1995 और 1997 में फर्जी फॉर्म नंबर 16 (जो आर्म्स डीलर के लिए जारी होते हैं) को तैयार कर हथियारों की सप्लाई के मामले में पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव की गिरफ्तारी का वारंट जारी किया गया है. यहां फर्जीवाड़ा 23 अगस्त 1995 से लेकर 15 मई 1997 के बीच किया गया था.”
इसके साथ ही आपको बता दें कि कुल तीन फर्मों से हथियार और कारतूस खरीदे गए थे. इस मामले में लालू प्रसाद यादव सहित 23 आरोपियों के नाम शामिल हैं इसमें से 6 के खिलाफ ट्रायल चल रहा है, दो की मौत हो चुकी है, जबकि 14 फरार हैं. वहीं पुलिस ने इस मामले में जुलाई 1998 में चार्जशीट दाखिल की थी.
जानकारी के मुताबिक, इस मामले में लालू प्रसाद यादव आरोपित हैं तो, लेकिन वो राजद के नेता और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री ही हैं या कोई और, इसे लेकर भ्रम की स्थिति बनी हुई थी. अदालत के रिकॉर्ड से इसकी पुष्टि नहीं हो रही थी. दस्तावेजों के अनुसार आरोपी लालू प्रसाद के पिता का नाम कुंद्रिका सिंह है. वहीं, राजद नेता लालू प्रसाद के पिता का नाम कुंदन राय है. लालू प्रसाद के पिता का नाम सिर्फ फरारी पंचनामे में लिखा है.
पुलिस ने कोर्ट में जो चालान और फरार आरोपितों की सूची पेश की है, उनमें पिता का नाम नहीं लिखा था. शेष आरोपितों के पिता के नाम के साथ शहर तक का उल्लेख था. हालाँकि, पूर्व सांसद और विधायक लालू प्रसाद यादव का जिक्र होने से यह केस एमपी-एमएलए कोर्ट में गया है.