पीएम मोदी को क्यों याद आए पूर्व पीएम पीवी नरसिम्हा राव! जानिए

देश में लोकसभा चुनाव के तीन चरण पूरे हो गए है. चौथे चरण के मतदान से पहले राजनीतिक दल धुआंधार प्रचार में जुटे हैं. सभी सियासी दलों के नेता एक दूसरों पर आरोप-प्रत्यारोप लगा रहे हैं. कोई किसी पर विकास नहीं करने का आरोप लगा रहा तो कोई देश के दिग्गज और दिवंगत नेताओं के साथ न्याय नहीं होने का दावा कर रहा है.

ताजा मामला देश के पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव का है. इस चुनाव में उनका नाम एक बार फिर उछाल है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कांग्रेस को आडे़ हाथों लेते हुए उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव का जिक्र भी किया.

पीएम मोदी ने कहा कि कांग्रेस की ये रीति रही है कि उन्होंने अपने ही लोगों को वो सम्मान नहीं दिया जिसके वह हकदार थे. जहां तक पूर्व पीएम राव की बात है कांग्रेस ने उनके निधन पर उनके शव तक को मुख्यालय में प्रवेश नहीं करने दिया था. इसे तेलंगाना भेज दिया था. पीएम मोदी के इस बयान के बाद एक बार फिर इतिहास के झरोखे से वो वाकया लोगों के जहन में ताजा हो गया है. आइए जानते हैं कि आखिर पूर्व पीएम के निधन पर कांग्रेस का कैसा था रुख.

दरअसल, तेंलगाना में एक रैली को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने पूर्व प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव का भी नाम लिया. उन्होंने कहा कि फैमिली फर्स्ट की इस नीति के कारण कांग्रेस ने पीवी नरसिम्हा राव का अपमान किया. यहां तक कि उनकी मृत्यु के बाद भी उन्होंने उनके शव को कांग्रेस कार्यालय में प्रवेश देने नहीं होने दिया. भाजपा-एनडीए सरकार ने पीवी नरसिम्हा राव को भारत रत्न देकर उनका सम्मान किया. बता दें कि पीएम मोदी ने हाल ही में अपने रेडियो संदेश में नरसिम्हा राव को याद किया और अंग्रेज़ी अख़बार में छपे लेख के जरिए कहा कि उनके बारे में एक बात जानने की ज़रूरत है कि निज़ाम ने वंदे मातरम को गाने की इजाज़त नहीं दी थी, लेकिन नरसिम्हा राव आज़ादी की लड़ाई में शामिल थे और उन्होंने निजाम के खिलाफ़ अपनी मुहिम को तेज किया था.

पीवी नरसिम्हा राव का पूरा नाम पामुलापार्ती वेंकट नरसिम्हा राव था. उनका जन्म 28 जून 1921 में करीम नगर गांव, हैदराबाद. उनका निधन 23 दिसंबर 2004 में हुआ था. पीवी नरसिम्हा राव दक्षिण भारत से देश के प्रधानमंत्री पद तक पहुंचने वाले पहले शख्स थे. राव को भाषाओं में खासी रुचि थी. 1991 में देश में आर्थिक संकट गहरा गया था. पीवी नरसिम्हा राव को ‘भारतीय अर्थशास्त्र सुधारों के जनक’ के रूप में जाना जाता है. उन्होंने 1991 से 1996 तक भारत के 10 वें प्रधानमंत्री के रूप में कार्य किया. उन्हें भारत के मुक्त-बाजार सुधार की शुरुआत करने के लिए जाना जाता है, लेकिन कांग्रेस में उन्हें वह सम्मान नहीं मिला जो उन्हें मिलना चाहिए था. सोनिया ‘लॉबी’ ने 1996 में नरसिम्हा राव को अध्यक्ष पद से हटने पर मजबूर किया और सीताराम केसरी ने उनकी जगह ली.

वरिष्ठ पत्रकार रशीद क़िदवई की किताब ’24, अकबर रोड ‘ के विमोचन के समय बोलते हुए पत्रकार और मनमोहन सिंह के मीडिया सलाहकार रह चुके संजय बारू ने याद किया था कि किस तरह कांग्रेस ने अपने एक सीनियर नेता का दिल्ली में अंतिम संस्कार तक नहीं होने दिया और नरसिम्हा राव के परिवार को मजबूर किया गया कि वो उनके शव को हैदराबाद ले जाएं. अपनी किताब 1991: हाऊ पीवी नरसिम्हा राव मेड हिस्ट्री में संजय बारू ने पूर्व प्रधानमंत्री के जीवन के बारे में विस्तार से लिखा है.

कांग्रेस पार्टी पर अपने उन नेताओं की अनदेखी करने का आरोप लगा. बीजेपी का आरोप है कि जो नेहरू-गांधी परिवार से नहीं हैं उन्हें पार्टी ने सम्मान नहीं दिया. चाहे वो वल्लभ भाई पटेल हों, या लाल बहादुर शास्त्री या अब नरसिम्हा राव, और ख़ास तौर पर उनको तो ज़रूर दरकिनार किया गया है जिन्होंने नेहरू-गांधी परिवार के एकक्छत्र राज को पार्टी में चैलेंज करने की कोशिश की हो.

यहां तक कि जब 2020 में जब भारत के पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव की जन्म शताब्दी मनाने की तैयारी शुरू हुई तो कांग्रेस ने कोई कार्यक्रम तक नहीं किया. हालांकि, तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) ने वहां के अखबारों में राव की जन्म शताब्दी पर बड़े-बड़े विज्ञापन दिए. टीआरएस ने पीवी नरसिम्हा राव की जन्म शताब्दी के मौक़े पर साल भर के कार्यक्रम का ऐलान किया. वहीं, कांग्रेस पार्टी के दो अहम नेता, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और पूर्व गृह मंत्री पी चिदंबरम ने भी राव को श्रद्धांजलि अर्पित की. पीवी नरसिम्हा राव की सरकार में वित्त मंत्री रह चुके मनमोहन सिंह ने हमेशा की तरह उन्हें श्रद्धांजलि दी और कहा, ‘उनके नेतृत्व में हमने आर्थिक और विदेश नीति के क्षेत्र में महत्वपूर्ण क़दम उठाए,’ जबकि चिदंबरम ने उन्हें एक ऐसे व्यक्ति के तौर पर याद किया ‘जिसने देश को ख़ुशहाली और आत्मनिर्भरता के पथ पर आगे बढ़ाने में अहम भूमिका निभाई’. सोनिया गांधी के ओर से किसी तरह का कोई संदेश जन्म शाताब्दी के मौके पर नहीं आने पर उस वक्त कांग्रेस प्रवक्ता तहसीन पूनावाला ने कहा था कि अगर कांग्रेस ने अपनी तरफ़ से, या राहुल गांधी ने पूर्व प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव को श्रद्धांजलि दी है तो ऐसा उन्होंने सोनिया गांधी के कहने पर ही तो किया होगा क्योंकि पार्टी की अध्यक्ष तो वो हैं और सोनिया गांधी का कोई ट्वीटर हैंडिल है नहीं, तो वो अपनी तरफ़ से सोशल मीडिया पर किस तरह संदेश देतीं”.


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