देशभर के विभिन्न संगठनों द्वारा बुधवार यानी 21 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट के अनुसूचित जाति व जनजाति आरक्षण में क्रीमीलेयर पर आए फैसले के खिलाफ ‘भारत बंद’ का आह्वान किया गया है. देशभर की तमाम राजनीतिक पार्टियां, जिसमें भारत आदिवासी पार्टी, भीम आर्मी समेत अन्य पार्टियां भी शामिल हैं, भारत बंद का समर्थन कर रही हैं. साथ ही कांग्रेस समेत कुछ अन्य पार्टियों के नेता भी इसका समर्थन करेंगे.
हालांकि भारत बंद को लेकर अभी कोई आधिकारिक जानकारी हासिल नहीं हुई है, मगर माना जा रहा है कि- भारत बंद के दौरान सार्वजनिक परिवहन सेवाएं प्रभावित हो सकती हैं. साथ ही कुछ जगहों पर निजी दफ्तर बंद रह सकते हैं.
दूसरी ओर इस भारत बंद के दौरान अस्पताल और एंबुलेंस जैसी आपातकालीन सेवाएं जारी रहेंगी. क्योंकि सरकार की ओर से अभी तक सरकारी कार्यालय और बैंक दफ्तर बंद रहने से जुड़ा कोई आदेश नहीं आया है, लिहाजा इनके खुले रहने के आसार हैं.
क्यों हो रहा भारत बंद?
मालूम हो कि, दलित संगठनों की भारत बंद बुलाने के पीछे मांग है कि, देश की सर्वोच्च अदालत कोटे में कोटा वाले फैसले को वापस ले या इसपर पुनर्विचार करे.
क्या है सुप्रीम कोर्ट का फैसला?
गौरतलब है कि, एससी-एसटी आरक्षण में क्रीमीलेयर पर फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि, सभी एससी और एसटी जातियां और जनजातियां एक समान वर्ग नहीं हैं. कुछ जातियां अधिक पिछड़ी हो सकती हैं. लिहाजा राज्य सरकारें इन लोगों के उत्थान के लिए एससी-एसटी आरक्षण का वर्गीकरण (सब-क्लासिफिकेशन) कर अलग से कोटा निर्धारित कर सकती है. ये करना संविधान के आर्टिकल-341 के खिलाफ नहीं है.”