अमेरिका से निकाले गए 104 भारतीय अपने घर लौट चुके हैं. अमेरिका से डिपोर्ट हुए भारतीयों को मैक्सिको-अमेरिका की सीमा से पकड़ा गया है. रिपोर्ट के मुताबिक, सभी भारतीय भारत से तो वैध तरीके से रवाना हुए थे लेकिन इन्होंने बाद में डंकी रूट की मदद से अमेरिका में घुसने की कोशिश की.
अमेरिका से भारत सिर्फ 104 लोग ही नहीं बल्कि हजारों-लाखों सपने भी डिपोर्ट हुए हैं. हथकड़ी में बंधे 104 लोगों की अलग-अलग कहानियां हैं. किसी के सिर पर इस वजह से पहाड़ टूट गया है तो किसी के पास खुद का ठिकाना ही नहीं है और वह अपने रिश्तेदारों के यहां रह रहा है.
करनाल के कालरों गांव के रहने वाले 20 साल के आकाश ने देश से बाहर जाने का सपना देखा. उसकी जिद को उसके बड़े भाई ने पूरा किया. इसके लिए परिवारिक जमीन के ढाई एकड़ हिस्से को भाई ने बेच दिया. आकाश को अमेरिका भेजने के लिए भाई ने एजेंट से बात की. अमेरिका जाने का खर्च एजेंट ने 65 लाख बताया और छह-सात लाख रुपये अलग से. 10 माह पहले वह अमेरिका के लिए रवाना हुआ. 26 जनवरी को उसने मैक्सिको की दीवार कूदी और अमेरिका की जमीन पर कदम रख दिया. हालांकि,आकाश यहां पकड़ा गया.
खबर में आगे बढ़ने से पहले डंकी रूट के बारे में समझिए. डंकी रूट के दो रास्ते हैं. एक सीधा मैक्सिको जाओ और वहां से दीवार कूदकर अमेरिका की सीमा में. वहीं, दूसरा रास्ता बहुत कठिन है, क्योंकि, इसमें आपको कई देशों से फ्लाइट, कैंटर, टैक्सी, बस, समुद्र, जंगल पार करके अमेरिका जाना पड़ता है.
जानकारी के अनुसार, एजेंट ने आकाश के परिवार से सीधा मैक्सिको पहुंचाने का पैसा लिया था पर उसे दूसरे रास्ते से अमेरिका भेजा गया. आकाश के भाई ने कुछ वीडियो भी साझा किए, जिसमें वह जंगलों के रास्ते अमेरिका की ओर जा रहा था.
आकाश की आखिरी बार 26 जनवरी को अपने परिवार से बात हुई थी. जब वह दीवार कूदकर अमेरिका पहुंचा था. उसे वहां चौकी मिली. वहां उसे रिमांड का डर दिखाकर डिपोर्ट वाले कागजात साइन करवा लिए गए. बुधवार दोपहर को आकाश के भाई को पता चला कि वह अब वापस आ रहा है. बुधवार शाम को जब आकाश को फोन किया गया तो उसने बताया कि वह वापस आ रहा है.
आकाश को अमेरिका जाने में कुल 72 लाख रुपये का खर्चा आया. डिपोर्ट होने के बाद आकाश सुबह अपने घर पहुंचा और मामा के साथ उनके घर चला गया. आकाश के भाई ने जंगलों के कुछ वीडियोज दिखाए. परिवार की हालत खराब हो गई है. परिवार चाहता है कि एजेंट के खिलाफ कार्रवाई हो, जिससे अब कोई भी व्यक्ति डंकी रूट से अमेरिका न जाए.