कैसे बना ‘वारिस पंजाब दे’ का चीफ! पढ़ें अमृतपाल सिंह की पूरी

रविवार (23 अप्रैल) को खालिस्तान समर्थक और भगोड़े अमृतपाल सिंह को पंजाब पुलिस ने मोगा से गिरफ्तार कर लिया है. भगोड़ा पूरे 36वें दिन पुलिस के हत्थे चढ़ा. वह 18 मार्च से फरार चल रहा था. हालांकि, इस बीच पुलिस उसके कई समर्थकों को गिरफ्तार कर चुकी थी.

कट्टरपंथी उपदेशक पिछले महीने अजनाला में एक पुलिस थाने पर हमला करने के बाद से फरार चल रहा था. उसने और उसके समर्थकों ने मिलकर अपहरण और दंगों के आरोपियों में से एक तूफान की रिहाई को लेकर अजनाला पुलिस स्टेशन पर धावा बोल दिया था.

इस दौरान छह पुलिसकर्मी घायल हो गए थे. इस मामले में अमृतपाल और उसके 25 साथियों के खिलाफ अजनाला पुलिस ने 16 फरवरी को केस दर्ज किया था.

कैसे बना ‘वारिस पंजाब दे’ चीफ
चलिए आपको बताते हैं कि अमृतपाल की गिरफ्तारी से पहले क्या हुआ, उसने क्या किया, वह कहां-कहां रह चुका है और वह कैसे एक कट्टरपंथी नेता बनकर उभरा. दरअसल, 29 सितंबर, 2021 को दीप सिद्धू के नाम से लोकप्रिय संदीप सिंह सिद्धू ने पंजाब के लिए लड़ने और इसकी संस्कृति की रक्षा करने के लिए एक समूह के रूप में ‘वारिस पंजाब दे’ शुरू किया था.

15 फरवरी, 2022 को दिल्ली में जारी किसान आंदोलन के दौरान राष्ट्रीय सुर्खियों में आने वाले दीप सिद्धू की सड़क दुर्घटना में मौत हो गई. 29 सितंबर, 2022 को दीप सिद्धू की मौत के कुछ महीनों बाद अमृतपाल सिंह को उनके समर्थकों ने ‘वारिस पंजाब दे’ का चीफ बना दिया.

अजनाला पुलिस थाने पर हमला
16 फरवरी 2023 को अजनाला में अमृतपाल सिंह और लवप्रीत सिंह उर्फ ​​तूफान के खिलाफ अपहरण, मारपीट और हत्या के प्रयास का मामला दर्ज हुआ. तूफान को अजनाला पुलिस ने हमले के अगले ही दिन गिरफ्तार कर लिया था. दरअसल, अमृतपाल और उसके समर्थकों ने अजनाला पुलिस स्टेशन पर धावा बोल दिया और तूफान को छोड़ने के लिए पुलिस पर दबाव बनाने के लिए घेराबंदी की.

अमृतपाल को लेकर सर्च ऑपरेशन
इसके बाद 23 फरवरी की इसी घटना के मामले में पुलिस ने केस दर्ज किया था. इस मामले में अमृतपाल को पुलिस पकड़ने गई थी, लेकिन वह फरार हो गया. 18 मार्च के बाद से आठ से अधिक जिलों की पुलिस टीमों ने अमृतपाल के काफिले का उसके पैतृक जिले अमृतसर से बठिंडा तक पीछा करना शुरू किया. एक काफिले को जालंधर जिले के मेहतपुर में रोका गया और अमृतपाल के सात सहयोगियों को गिरफ्तार किया गया. इसी दिन पंजाब सरकार ने अमृतपाल के खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (NSA) लागू करने के बाद, उनके चार समर्थकों को असम के डिब्रूगढ़ सेंट्रल जेल में शिफ्ट कर दिया.

36 दिनों तक जारी रहा सर्च ऑपरेशन
19 मार्च को तलाशी का दूसरा दिन भी जारी रहा और पुलिस ने 34 और लोगों को गिरफ्तार किया. 20 मार्च को अमृतपाल के चाचा हरजीत सिंह और ड्राइवर ने जालंधर के शाहकोट में तड़के आत्मसमर्पण कर दिया. हरजीत को भी एनएसए के तहत हिरासत में लिया गया था और गिरफ्तारी के बाद डिब्रूगढ़ जेल में ले जाया गया. 28 मार्च को अमृतपाल अपने दोस्त पप्पलप्रीत सिंह के साथ होशियारपुर जिले में देखा गया, लेकिन फिर से पुलिस को चकमा देने में कामयाब रहा.

अमृतपाल का दोस्त पप्पलप्रीत गिरफ्तार
10 अप्रैल, 2023 को पंजाब पुलिस ने अमृतपाल के खास दोस्त पप्पलप्रीत को अमृतसर जिले से गिरफ्तार किया. इसके बाद आज यानी 23 अप्रैल को आखिरकार अमृतपाल को मोगा के एक गुरुद्वारे से गिरफ्तार कर लिया गया. उसे भी असम के डिब्रूगढ़ सेंट्रल जेल में भेजे जाने की तैयारी चल रही है. वहीं, दो दिनों पहले ही अमृतपाल की पत्नी को एयरपोर्ट पर देश छोड़ने से रोक दिया गया था.



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