लखनऊ| करीब 28 माह से जेल में बंद केरल के पत्रकार सिद्दीकी कप्पन आज यानी गुरुवार को जेल से बाहर आ गए. केरल के पत्रकार सिद्दीकी कप्पन को जमानत के लिए अदालत में श्योरिटी पेश करने के एक दिन बाद गुरुवार को जेल से रिहा कर दिया गया.
एक अधिकारी ने बताया कि सिद्दीकी कप्पन और तीन अन्य को अक्टूबर 2020 में गिरफ्तार किया गया था, जब वे हाथरस जा रहे थे, जहां एक दलित महिला की कथित रूप से बलात्कार के बाद मौत हो गई थी.
दरअसल, केरल के पत्रकार सिद्दीकी कप्पन जमानत पर जेल से बाहर आए हैं. कप्पन आज सुबह करीब 9.15 मिनट पर जेल से बाहर आए. जेल से बाहर आने पर कप्पन ने कहा, ‘मैं 28 महीने बाद जेल से बाहर आया हूं. मुझे सपोर्ट करने के लिए मैं मीडिया का शुक्रिया अदा करना चाहता हूं. मुझ पर झूठे आरोप लगाए गए. मैं अब बाहर आकर खुश हूं.’
कप्पन की जमानत संबंधी दो बंध पत्र (श्योरिटीज) बुधवार को लखनऊ की अदालत में जमा कर दिया गया, जिससे उनकी जेल से रिहाई का रास्ता साफ हो गया और आज उनकी रिहाई हुई. मंगलवार को विशेष अदालत धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) में जज के नहीं होने के कारण एक-एक लाख रुपये के दो बंध पत्र जमा नहीं हो सके थे.
बता दें कि पत्रकार सिद्दीकी कप्पन वर्तमान में लखनऊ की जिला जेल में बंद थे और उन्हें तीन अन्य लोगों – अतिकुर रहमान, आलम और मसूद – के साथ मथुरा से अक्टूबर 2020 में गिरफ्तार किया गया था. उन पर पीएफआई के साथ कथित तौर पर संबंध रखने तथा हिंसा भड़काने के षड़यंत्र का हिस्सा होने का आरोप है.
पत्रकार सिद्दिकी कप्पन के खिलाफ भारतीय दंड विधान की विभिन्न धाराओं के अलावा गैर कानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम एवं सूचना प्रौद्योगिकी कानून के तहत मामला दर्ज किया गया था. कप्पन को अक्टूबर 2020 में हाथरस जाने के दौरान गिरफ्तार किया गया था, जहां एक दलित महिला के साथ बलात्कार हुआ था और उसके बाद उसकी मौत हो गई थी. पिछले साल सितंबर में सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दे दी ती, मगर ईडी की ओर से मनी लॉन्ड्रिंग के केस की वजह से वह बाहर नहीं आ पाए थे.
सिद्दीकी कप्पन पर गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए), राजद्रोह (आईपीसी की धारा 124-ए), धर्म के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना (आईपीसी की धारा 153-ए), धार्मिक भावनाओं (आईपीसी की धारा 295-ए) की धारा 17 और 18 और आईटी अधिनियम की धारा 65, 72 और 75 की के तहत आरोप लगाए गए हैं.
क्या हुआ था हाथरस में
दरअसल, हाथरस के बूलगढ़ी गांव में साल 2020 में एक दलित लड़की के साथ सामूहिक दुष्कर्म करने के बाद हत्या करने का मामला सामने आया था, जिसमें 4 लड़कों को गिरफ्तार किया गया था. पीड़िता की मौत के बाद आनन-फानन में पुलिस द्वारा रात में ही शव को जला दिया गया था, जिसे लेकर देशव्यापी प्रदर्शन देखने को मिला था.