बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली जनता दल (यूनाइटेड) ने बुधवार (22, जनवरी 2025) को मणिपुर सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया. मणिपुर में सीएम एन बीरेन सिंह के नेतृत्व में बीजेपी की सरकार है. जेडीयू ने पत्र जारी कर औपचारिक रूप से मणिपुर सरकार से अपना समर्थन वापस लेने का ऐलान कर दिया है.
जेडीयू का 2022 से भाजपा के साथ गठबंधन था, लेकिन अब उसने सत्तारूढ़ सरकार से दूरी बना ली है. 2022 में जेडीयू के छह में से पांच विधायकों ने भाजपा का समर्थन किया था, जिससे भाजपा की स्थिति और मजबूत हो गई थी.अब जेडीयू ने भाजपा सरकार से अपना समर्थन वापस लेते हुए राज्यपाल को औपचारिक पत्र सौंपा है.
जेडीयू के समर्थन वापस लेने के बावजूद, मुख्यमंत्री बीरेन सिंह के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार की स्थिरता पर कोई असर नहीं होगा. राज्य विधानसभा में भाजपा का बहुमत इतना मजबूत है कि यह किसी भी राजनीतिक व्यवधान के बिना सत्ता में बनी रह सकती है.जेडीयू का समर्थन वापसी मणिपुर की राजनीति में बदलाव का संकेत है. हालांकि, भाजपा सरकार के कार्यों और निर्णयों पर इसका प्रभाव फिलहाल दिखाई नहीं देगा.
बता दें कि पहली बार 2013 में नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार बनने के बाद, जदयू ने भाजपा से अपना गठबंधन तोड़ दिया था. नीतीश कुमार ने इस निर्णय को सांप्रदायिकता के खिलाफ लड़ाई बताया था. इसके बाद जदयू ने बिहार में अलग राह अपनाई और राजद के साथ महागठबंधन बनाया था. फिर 2017 में नीतीश कुमार ने आरजेडी और कांग्रेस के साथ महागठबंधन तोड़ते हुए फिर से भाजपा के साथ हाथ मिलाया, इसे बिहार की राजनीति में बड़ा घटनाक्रम माना गया. भाजपा और जदयू ने मिलकर सरकार बनाई और नीतीश कुमार मुख्यमंत्री बने.
हालांकि, अगस्त 2022 में जदयू ने एक बार फिर भाजपा से गठबंधन तोड़ दिया. नीतीश कुमार ने इसे भाजपा की “साजिश और दबाव की राजनीति” बताया. इसके बाद जदयू ने आरजेडी, कांग्रेस और अन्य दलों के साथ मिलकर महागठबंधन सरकार बनाई. बिहार की राजनीति में भाजपा और जदयू का गठबंधन कई बार बना और टूटा. हालांकि अभी बिहार में भाजपा (भारतीय जनता पार्टी) और जदयू (जनता दल यूनाइटेड) का गठबंधन वाली सरकार चल रही है.