एक बेटा ऐसा भी! कश्मीर के लाल मुदासिर को मिला शौर्य चक्र, गाड़ी से खीच आतंकियों को किया था ढेर

गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर वीरता पुरुस्कार का ऐलान कर दिया गया है. 412 जाबाजों को सम्मानित किया गया है. 6 जांबाजों को कीर्ति चक्र, 15 को शौर्य चक्र दिया गया है. इनमें से एक नाम जम्मू कश्मीर पुलिस के कॉन्स्टेबल मुदासिर अहमद शेख का भी है. मुदासिर अहमद शेख (32 साल) आतंकवादियों का मुकाबला करते हुए असाधारण वीरता प्रदर्शन के लिए मरणोपरांत शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया है.

मुदासिर अहमद शेख बारामूला में 25 मई 2022  को आतंकियों से लोहा लेते वक्त शहीद हो गए थे. इस ऑपरेशन में तीन आतंकी ढेर हुए थे. मुठभेड़ के दौरान मुदासिर अहमद ने बेजोड़ साहस दिखाया था और उन्होंने देश की सुरक्षा के लिए अपना सर्वोच्च बलिदान दिया था.

आईए जानते हैं मुदासिर अहमद की कहानी..

25 मई 2022 को सुरक्षाबलों को तीन विदेशी आतंकियों के मूवमेंट की जानकारी मिली थी. इसके बाद बारामूला में सुरक्षाबलों ने ऑपरेशन चलाया. आतंकियों के निशाने पर अमरनाथ यात्रा थी. मुदासिर अहमद शेख ने आतंकियों के वाहन की पहचान की. लेकिन आतंकी खतरा देखकर फायरिंग करने लगे. मुदासिर अहमद शेख अपनी जान की परवाह किए बिना आतंकियों के वाहन पर छपटे और एक आतंकी को कार से बाहर खींच लिया. इसके बाद बाकी आतंकियों ने उनपर अंधाधुंध फायरिंग कर दी. इससे मुदासिर अहमद शेख गंभीर रूप से जख्मी हो गए. इसके बावजूद वे एक हाथ से आतंकी को पकड़े रहे और आतंकियों से सामने से लड़ाई की और जवाब में ताबड़तोड़ फायरिंग की. 

“मुदासिर अहमद शेख काफी जख्मी हो गए थे. इसके बाद वे शहीद हो गए. लेकिन इस ऑपरेशन में तीन आतंकियों को ढेर कर दिया और भारी मात्रा में हथियार बरामद हुए. सुरक्षाबलों ने बड़े आतंकी हमले को नाकाम कर दिया. मुदासिर अहमद को बेजोड़ साहस , वीरता और शौर्य के लिए  “शौर्य चक्र” से सम्मानित किया गया है. उन्हें मरणोप्रांत इस अवार्ड से सम्मानित किया गया.

मुदासिर अहमद शेख के अंतिम संस्कार के वक्त पिता मकसूद अहमद ने कहा था, बेटे मुदासिर की कुर्बानी से वजह से हजारों आदमियों की जान बच गई. हमें पता है कि वह अब कभी वापस नहीं आएगा. हमें और हमारी बिरादरी को फक्र है कि लड़ते-लड़ते बेटे ने जान दे दी, लेकिन आतंकियों को बचने नहीं दिया.

शहादत देने वाले पुलिसकर्मी के पिता के फक्र को देखकर वहां मौजूद हर किसी की आंखें भर आई और लोगों में जोश भी भर गया. अगर आतंकी बच जाते तो बड़ी तबाही मचा सकते थे. इसलिए हमें फक्र है कि मुठभेड़ में आखिर वक्त तक लड़ते हुए जांबाज मुदासिर ने आतंकियों से लोहा लिया और दहशतगर्दों को मारते हुए वीरगति हासिल की.

मुदासिर अहमद शेख को बिंदास नाम से जाना जाता था. उनके नाम पर बारामूला में बिंदास चौक बनाया गया है. चौक का नाम शहीद जम्मू-कश्मीर पुलिस के सिपाही मुदासिर अहमद शेख की याद में रखा गया है. जम्मू-कश्मीर पुलिस के डीजीपी दिलबाग सिंह ने इसका उद्घाटन किया था. 

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