अरुणाचल प्रदेश के तवांग में 9 दिसंबर को चीन और भारत के सैनिकों के बीच झड़प हुई थी. इस झड़प के बारे में बताया जा रहा है कि भारतीय पक्ष की तरफ से कुछ सैनिक जख्मी हुए हालांकि चीन की तरफ से जख्मी होने वाले सैनिकों की संख्या ज्यादा है. अरुणाचल ईस्ट से बीजेपी सांसद तापिर गाओ का कहना है कि उन्हें इस बात की जानकारी है. सीमा पर भारतीय फौज एक इंच जमीन भी चीन के कब्जे में नहीं जाने देगी.
लेकिन इन सबके बीच 30 नवंबर को उत्तराखंड के औली में भारतीय और यूएस सैनिकों के बीच अभ्यास से क्या चीन डरा हुआ है. दरअसल जब औली में भारत और अमेरिकी सैनिकों के बीच युद्धाभ्यास जारी था तो उस वक्त चीन ने भारत से कहा कि बार्डर मैनेजमेंट का सम्मान किया जाना चाहिए. चीन की तरफ से कहा गया कि 1993-96 के बीच सीमा को लेकर समझौता हुआ था उसे बनाए रखने की जरूरत है.
सीमा पर चीन की तरफ से उकसाने वाली हरकत तब हुई जब पीएलए ने 20वीं राष्ट्रीय पार्टी कांग्रेस से एक महीने पहले अरुणाचल प्रदेश में तीन अतिरिक्त संयुक्त सशस्त्र ब्रिगेड और सिक्किम में एक समान ब्रिगेड को शामिल किया. जिस तरह चीन 1597 किमी पूर्वी लद्दाख एलएसी पर भारत द्वारा खारिज की गई 1959 कार्टोग्राफिक लाइन को लागू करना चाहता है, वह पूरे अरुणाचल प्रदेश को दक्षिण तिब्बत के रूप में रखता है और पूर्वी क्षेत्र में 1126 किमी एलएसी पर चुनाव लड़ता है.
चीन और भारत ने केवल मध्य क्षेत्र में सीमा मानचित्रों का आदान-प्रदान किया है और एक-दूसरे की स्थिति को परिभाषित किया है.चीन ने डोकलाम पठार के पास भारत-चीन-भूटान त्रि-जंक्शन क्षेत्र में फिर से सैन्य गतिविधि शुरू कर दी है 2017 के सैन्य आमने-सामने की जगह और सीमा वार्ता के लिए भूटान पर दबाव डाल रहा है.
तवांग सेक्टर में 9 दिसंबर की पीएलए की आक्रामकता में 300 से अधिक सैनिक शामिल थे. बताया जा रहा है कि चीन इसके जरिए भारतीय सेना की प्रतिक्रिया क्षमता को परखने की कोशिश कर रहा था. पीएलए पूरी तरह से कब्जे वाले अक्साई चिन और ताशकुर्गन क्षेत्र में काराकोरम दर्रे पर तैनात है.
इसके साथ ही पीएलए अरुणाचल प्रदेश में सैन्य गतिविधि के साथ साथ सीमा पर बुनियादी ढांचे को मजबूत करने में जुटा हुआ है. इसके साथ ही जब औली में युद्धाभ्यास पर चीन की तरफ से प्रतिक्रिया आई तो भारत और अमेरिका ने चीनी विरोध को खारिज कर दिया.
साभार-टाइम्स नाउ