सरकार ने लैपटॉप, टैबलेट, ऑल-इन-वन पर्सनल कंप्यूटर, अल्ट्रा स्मॉल फॉर्म फैक्टर (USFF) कंप्यूटर और सर्वेर के आयात पर ‘अंकुश’ लगा दिया है. आयात अंकुश तत्काल प्रभाव से लागू है. किसी उत्पाद के आयात को अंकुश की श्रेणी में डालने का मतलब है कि उनके आयात के लिए लाइसेंस या सरकार की अनुमति अनिवार्य होगी. विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) ने गुरुवार को जारी अधिसूचना में कहा कि शोध एवं विकास, परीक्षण, बेंचमार्किंग और मूल्यांकन, मरम्मत और वापसी और उत्पाद विकास के उद्देश्य से प्रति खेप अब 20 वस्तुओं तक आयात लाइसेंस की छूट रहेगी.
इस कदम का मकसद चीन जैसे देशों से आयात घटाना है. अधिसूचना में कहा गया है, ‘‘लैपटॉप, टैबलेट, ऑल-इन-वन पर्सनल कंप्यूटर और सर्वर के आयात को तत्काल प्रभाव से ‘अंकुश’ की श्रेणी में डाल दिया गया है.’’ माना जा रहा है कि पीएम मोदी की सरकार के इस कदम से भारत में इन सामानों के निर्माण को बढ़ावा देना है. मेक इन इंडिया प्रोग्राम के तहत देश के व्यापारियों को भारत में इलेक्ट्रॉनिक सामान बनाने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है.
सरकार के इस कदम का सबसे गहरा असर पड़ोसी देश चीन पर पड़ना तय है. चीन इलेक्ट्रॉनिक बाजार का बड़ा निर्यातक देश है. उसे दुनिया की फैक्ट्री भी कहा जाता है. चीन की ओप्पो, वीवो जैसी कंपनियां भारत के मोबाइल बाजार पर मजबूत पकड़ बनाकर बैठी हैं. इतना ही नहीं एप्पल जैसी बड़ी कंपनी के मोबाइल भी चीन से बनकर ही भारत में निर्यात होते हैं. चाहे मोबाइल फोन हो या फिर कंप्यूटर व लैपटॉप चीन इन सामानों को बनाकर दुनिया को एक्सपोर्ट करता आ रहा है.
भारत को दुनिया का नया आईटी हब भी कहा जाता है. ऐसे में यहां इलेक्ट्रॉनिक सामानों की बड़ी डिमांड रहती है, जिसे चीन जैसे देश पूरा करते हैं. एकाएक सरकार द्वारा इन इलेक्ट्रॉनिक सामानों के आयात पर रोक लगाने के कारण कुछ समय के लिए बाजार पर इसका असर भी पड़ सकता है. इस बात की संभावना है कि डिमांड और सप्लाई के बीच अंतर होने के कारण कुछ वक्त के लिए इनके दामों में वृद्धि भी हो.