शीतकालीन सत्र की शुरुआत से पहले पीएम मोदी बोले, ‘ये शीतकालीन सत्र है और माहौल भी शीत ही रहेगा’

संसद का शीकतकालीन सत्र आज से शुरू हो गया. इस सत्र में सरकार ने विचार के लिए वक्फ (संशोधन) विधेयक समेत 16 विधेयकों की सूची लिस्ट कराई है. फिलहाल लोकसभा में आठ और राज्यसभा में दो विधेयक लंबित हैं. संसद का शीतकालीन सत्र 25 नवंबर से 20 दिसंबर तक चलेगा. इस सत्र में कुल 19 बैठकें होंगी.

शीतकालीन सत्र की शुरुआत से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संसद के हंस द्वार से अपना संबोधन दिया. जिसमें पीएम मोदी ने कहा कि ये शीतकालीन सत्र है और माहौल भी शीत ही रहेगा. पीएम मोदी ने कहा कि 2024 का ये अंतिम कालखंड चल रहा है, देश पूरे उमंग और उत्साह के साथ 2025 की तैयारियों में लगा हुआ है.

पीएम मोदी ने कहा कि संसद का ये सत्र अनेक प्रकार से विशेष है. सबसे बड़ी बात है. हमारे संविधान के 75 साल की यात्रा. 75वें साल में उसका प्रवेश ये अपने आप में लोकतंत्र के लिए एक बहुत ही उज्जवल अवसर है. कल संविधान सदन में सब मिलकर के इस संविधान के 75वें वर्ष की उसकी उत्सव की मिलकर के शुरुआत करेंगे.

पीएम मोदी ने कहा कि संविधान निर्मातों ने संविधान निर्माण करते समय एक-एक बिंदु पर बहुत विस्तार से बहस की है और तब जाकर के ऐसा उत्तम दस्तावेज हमें प्राप्त हुआ है. उसकी महत्वपूर्ण इकाई है उसकी संसद. पीएम मोदी ने कहा कि हमारे सांसद भी और हमारी संसद भी पार्टियामेंट में स्वस्थ चर्चा हो, ज्यादा से ज्यादा लोग चर्चा में अपना योगदान दें, दुर्भाग्य से कुछ लोगों ने अपने राजनीतिक स्वार्थ के लिए जिनको जनता ने अश्वीकार किया है.

पीएम मोदी ने कहा कि वे संसद को भी मुट्ठीभर लोगों के हुडदंग बाजी से कंट्रोल करने का लगातार प्रयास कर रहे हैं. उनका अपना मकसद तो संसद की गतिविध को रोकने से ज्यादा सफल नहीं होता है. और देश की जनता उनके सारे व्यवहारों को काउंट करती है और जब समय आता है तो सजा भी देती है लेकिन सबसे ज्यादा पीड़ा की बात ये है कि जो नए सांसद होते हैं नई विचार नई ऊर्जा लेकर आते हैं, ये किसी एक दल में नहीं सभी दल में आते हैं उनके अधिकारों को कुछ लोग दबोच देते हैं,

सदन में बोलने का उनको अवसर तक नहीं मिलता है, लोकतांत्रिक परंपरा में हर पीढ़ी का काम है आने वाले पीढ़ियों को तैयार करे. लेकिन 80-80, 90-90 बार जनता ने जिनको लगातार नकार दिया है वे न संसद में चर्चा होने देते हैं ना लोकतंत्र की भावना का सम्मान करते हैं ना ही लोगों की आकांक्षाओं का महत्व समझते हैं उनका उनके प्रति कोई दायित्व है उसकी भी महत्व नहीं समझ पाते हैं. इसका परिणाम ये है कि वे जनता की उम्मीदों पर कभी भी खरे नहीं उतरते. इसके परिणाम स्वरूप जनता को बार-बार उनके रिजेक्ट करना पड़ रहा है.

पीएम मोदी ने कहा कि ये सदन लोकतंत्र की 2024 के संसद के चुनाव के बाद देश की जनता को अपने-अपने राज्यों में कुछ स्थानों पर अपनी भावना, अपने विचार अपनी प्रकट करने का अवसर मिला है. उसमें भी 2024 के लोकसभा चुनाव के नतीजों को और अधिक ताकत दी गई है राज्यों के द्वारा. और अधिक बल प्रदान किया गया है, और अधिक समर्थन का व्यास बढ़ा है.

पीएम मोदी ने कहा कि लोकतंत्र की ये शर्त है कि हम जनता जनार्दन की भावनाओं का आदर करें, उनकी आशा अपेक्षाओं पर खरा उतरने के लिए दिन रात मेहनत करें. मैं बार-बार खासकर विपक्ष के साथियों से आग्रह करता रहा हूं कि कुछ विपक्ष बहुत जिम्मेदारी से व्यवहार करते भी हैं. उनकी भी इच्छा रहती है कि सदन में सुचारू रूप से काम हो, लेकिन लगातार जिनको जनता ने नकार दिया है वो अपने साथियों की बात को भी दबोच लेते थे उनकी भावनाओं का भी अनादर करते हैं लोकतंत्र की भावनाओं का भी अनादर करते हैं मैं आशा करता हूं कि हमारे नए साथियों को अवसर मिले, सभी दल में नए साथी उनके पास नए विचार हैं भारत को आगे ले जाने के लिए नई-नई कल्पनाएं हैं. और आज विश्व भारत की तरफ बहुत आशाभरी नजर से देख रहा है.

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