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दिल्ली विधानसभा चुनावों में बीजेपी के शानदार प्रदर्शन की ये रही पांच वजह

दिल्ली विधानसभा चुनावों के बाद वोटों की गिनती का काम चल रहा है. वोट काउंटिंग के ट्रेंड्स बता रहे हैं कि बीजेपी यानि भारतीय जनता पार्टी ने 27 साल बाद शानदार वापसी की है. वह दिल्ली में सरकार बनाने के बहुमत की ओर पुख्ता तरीके से जा रही है. दिल्ली के पिछले दो विधानसभा चुनावों में अगर बीजेपी दहाई तक भी नहीं पहुंच रही थी तो इस बार उसने ऐसा क्या कर दिया कि सारी तस्वीर ही बदल गई. क्या हैं इसकी पांच वजहें.

कैसे बीजेपी ने इस बार बाउंस बैक किया. 2015 में आम आदमी पार्टी ने 67 सीटें जीती थीं और बीजेपी को तीन सीटें मिली थीं. 2020 में आप ने अगर 62 सीटें जीतीं तो बीजेपी ने 8 सीटें. इस बार उसकी सीटें काफी बढ़ने वाली हैं. दिल्ली विधानसभा चुनावों में बीजेपी की शानदार वापसी की पांच वजहें क्या हैं.

दिल्ली विधानसभा चुनावों में बीजेपी के शानदार प्रदर्शन की 5 वजहें क्या रहीं.

  1. मजबूत संगठनात्मक ढांचा – भाजपा ने चुनाव से पहले अपने संगठन को मजबूत किया, जिसमें केंद्रीय मंत्रियों, पदाधिकारियों और सांसदों को विभिन्न विधानसभा क्षेत्रों की जिम्मेदारी सौंपी गई. इस रणनीति के तहत प्रत्येक नेता को दो विधानसभा क्षेत्रों में काम करने का दायित्व दिया गया, जिससे जमीनी स्तर पर पार्टी की पकड़ मजबूत हुई.
    भाजपा का मजबूत संगठनात्मक ढांचा और कार्यकर्ताओं का नेटवर्क चुनावी बूथ स्तर तक सक्रिय था. पोलिंग बूथ मैनेजमेंट और वोटर आउटरीच में उनकी रणनीति प्रभावी रही.
  2. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता- प्रधानमंत्री मोदी की करिश्माई नेतृत्व और उनकी नीतियों की लोकप्रियता ने मतदाताओं को भाजपा की ओर आकर्षित किया, जिससे पार्टी को व्यापक समर्थन मिला.
  3. विपक्षी दलों में विभाजन – विपक्षी दलों, विशेषकर कांग्रेस और आम आदमी पार्टी (आप) के बीच तालमेल की कमी और अलग-अलग चुनाव लड़ने के निर्णय ने भाजपा के लिए लाभकारी स्थिति उत्पन्न की, जिससे विपक्षी वोटों का विभाजन हुआ. कांग्रेस ने इस बार आम आदमी पार्टी के वोटों को जमकर काटा. बेशक कांग्रेस को इस चुनावों में कोई फायदा नहीं हुआ लेकिन उसने आप का काम तमाम उसी तरह किया, जैसे आप ने हरियाणा में उसे नुकसान पहुंचाया.
  4. स्थानीय मुद्दों पर ध्यान – भाजपा ने स्थानीय मुद्दों को प्रमुखता से उठाया और दिल्ली के विकास के लिए ठोस योजनाओं का प्रस्ताव रखा, जिससे मतदाताओं का विश्वास जीतने में सफलता मिली. “दिल्ली को अनार्की से बचाओ” जैसे नारों के साथ पार्टी ने अपने समर्थकों को प्रेरित किया. भाजपा ने झुग्गी-झोपड़ियों और अनाधिकृत कॉलोनियों के निवासियों को लक्षित किया. “जेजे कॉलोनी रेगुलराइजेशन” जैसे वादों और मौजूदा सरकार पर “विकास की कमी” का आरोप लगाया. इससे उन्हें निर्धन और मध्यम वर्ग के एक हिस्से का समर्थन मिला.

सबसे बड़ी बात ये भी रही कि बीजेपी ने भी अपने चुनावी वायदों में फ्री बिजली-पानी के साथ और भी सहुलियतें देने की झड़ी लगा दी. इसने भी आम आदमी पार्टी की फ्री की राजनीति पर बुरी तरह असर डाला.

भाजपा ने आप सरकार पर शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे मुद्दों को “प्रोपेगैंडा” बताया और दावा किया कि केजरीवाल सरकार “वास्तविक विकास” से भटकी हुई है

  1. सकारात्मक चुनाव प्रचार – पार्टी ने सकारात्मक चुनाव प्रचार पर जोर दिया, जिसमें विकास, सुशासन और बुनियादी सुविधाओं के सुधार पर ध्यान केंद्रित किया गया, जिससे जनता के बीच सकारात्मक छवि बनी. भाजपा ने राष्ट्रीय स्तर के नेताओं जैसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह और अन्य केंद्रीय मंत्रियों को चुनाव प्रचार में शामिल किया. इससे पार्टी ने “राष्ट्रवाद” और “सुरक्षा” जैसे मुद्दों को उछाला. दलित और ओबीसी वर्ग के बीच किए गए विशेष प्रयासों (जैसे वाल्मीकि समुदाय को लक्षित करना) ने भी भूमिका निभाई.

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