केंद्रीय गृह मंत्री और बीजेपी के दिग्गज नेता अमित शाह ने शुक्रवार 19 अप्रैल को गांधीनगर लोकसभा सीट से नामांकन दाखिल किया. इस दौरान उनके साथ गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल भी मौजूद रहे.
अमित शाह ने इस मौके पर लोगों से पहले चरण के मतदान के दौरान बढ़चढ़ कर मतदान की अपील की और एक बार फिर दोहराया कि इस बार एनडीए 400 पार करेगी आंकड़ा. बता दें कि गांधीनगर सीट का इतिहास काफी रोचक रहा है.
यहां पर शुरू से ही बीजेपी ने अपनी पकड़ मजबूत रखी है. आइए जानते हैं कि गुजरात की गांधीनगर लोकसभा सीट का इतिहास.
गांधीनगर लोकसभा सीट की बात करें तो 1967 में यह सीट बनी. 1977 के चुनाव को छोड़ दिया जाए तो पांच में से चार बार इस चुनाव में कांग्रेस ने जीत दर्ज की. उस दौरान यह सीट कांग्रेस के गढ़ रूप में जानी जाती थी. लेकिन 1989 में इस सीट पर भारतीय जनता पार्टी ने सेंध लगाई और इसके बाद से ही इस सीट पर बीजेपी ने अपना वर्चस्व बनाए रखा. बीजेपी नेता शंकर सिंह वाघेला ने कांग्रेस प्रत्याशी कोकिला व्यास को हरा कर यहां से पहली बार कमल खिलाया.
वाघेला की इस जीत के बाद गांधीनगर लोकसभा सीट गुजरात में बीजेपी की जीत और शक्ति दोनों का ही केंद्र बन गई. इसके बाद इस सीट पर बीजेपी के महारथी कहे जाने वाले लालकृष्ण आडवाणी ने भी यहां से चुनाव लड़ा और जोरदार जीत दर्ज की. पांच वर्ष बाद इस सीट पर पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी ने भी चुनाव लड़ा और सफलता प्राप्त की.
सुपर स्टार राजेश खन्ना को गांधीनगर का दामाद कहा जाता है, बावजूद इसके उनका जादू भी इस सीट पर नहीं चला और कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़ रहे राजेश खन्ना को यहां से हार का मुंह देखना पड़ा. राजेश खन्ना को 61164 वोटों हार मिली.