गुजरात एटीएस ने राज्य में अलकायदा के खतरनाक मंसूबों को नाकाम कर दिया है. गुजरात एटीएस ने अलकायदा के चार संदिग्धों को गिरफ्तार किया है. ये संदिग्ध देश में आतंकी गतिविधियों को बढ़ाने के लिए गुजरात आए थे.
गुजरात एटीएस ने अलकायदा से जुड़े एक सक्रिय ग्रुप का सफलतापूर्वक पर्दाफाश किया है. एक ऑपरेशन के दौरान, एटीएस ने सोजिब नाम के एक बांग्लादेशी व्यक्ति को कई अन्य संदिग्धों के साथ गिरफ्तार किया है. गुजरात एटीएस को संभावित आतंकवादी हमले के बारे में आईबी से सूचना मिली थी. जिसके बाद गुजरात एटीएस ने नारोल में 4 संदिग्ध व्यक्तियों को हिरासत में लिया. बाद की जांच से पता चला कि ये व्यक्ति बांग्लादेशी नागरिक हैं.
गुजरात एटीएस ने अल-कायदा के एक मॉड्यूल का भंडाफोड़ करते हुए इन चार सदस्यों को गिरफ्तार किया है. ये अवैध रूप से अहमदाबाद में रह रहे थे. गुजरात एटीएस के उप महानिरीक्षक दीपन भद्रन ने कहा कि प्रारंभिक जांच से पता चला है कि प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन के चार सदस्यों को भारत भेजे जाने से पहले बांग्लादेश स्थित उनके आकाओं द्वारा प्रशिक्षित किया गया था.
उन्होंने बताया कि इन सदस्यों को अल-कायदा की अवैध गतिविधियों के लिए धन जुटाने, स्थानीय युवाओं को कट्टरपंथी बनाने और उन्हें आतंकी संगठन में शामिल होने के लिए तैयार करने का काम सौंपा गया था. भद्रन ने एटीएस मुख्यालय में संवाददाताओं से कहा कि उन्हें भारतीय दंड संहिता की संबंधित धाराओं और गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) की विभिन्न धाराओं के तहत अहमदाबाद के विभिन्न हिस्सों से गिरफ्तार किया गया है.
अल-कायदा के चार कथित सदस्यों की पहचान मोहम्मद सोजिब, मुन्ना खालिद अंसारी, अजहरुल इस्लाम अंसारी और मोमिनुल अंसारी के रूप में हुई है. भद्रन ने कहा-“विशेष गुप्त सूचना के आधार पर, हमने सबसे पहले सोजिब को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया, जो अहमदाबाद के रखियाल इलाके में रहता था. सोजिब ने हमें बताया कि वह और तीन अन्य लोग अल-कायदा नेटवर्क का हिस्सा हैं और बांग्लादेश स्थित अपने आका शरीफुल इस्लाम से निर्देश ले रहे हैं. इस्लाम के माध्यम से, इन युवकों ने बांग्लादेश के मैमनसिंह जिले में अल-कायदा के संचालन प्रमुख शायबा से मिले थे.”
भद्रन ने कहा कि एटीएस ने बाद में शहर के नारोल इलाके से मुन्ना, अजहरुल और मोमिनुल को गिरफ्तार किया, जहां वे भारतीय नागरिक बनकर कारखानों में काम कर रहे थे. भद्रन ने कहा कि एटीएस को तीनों के किराए के कमरों से आधार, पैन कार्ड और आतंकी संगठन की मीडिया शाखा अस-साहब मीडिया द्वारा प्रकाशित कुछ साहित्य मिले. एटीएस के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा- “अवैध रूप से भारत में प्रवेश करने से पहले, इन युवाओं को उनके आकाओं द्वारा कूट चैट एप्लिकेशन और वीपीएन का उपयोग करने के लिए प्रशिक्षित किया गया था.
जाली दस्तावेजों का उपयोग करते हुए, इन आरोपियों ने अपने आधार और पैन कार्ड बनवा लिये. गुजरात के अलावा, उन्होंने अन्य राज्यों के युवाओं को कट्टरपंथी बनाने के लिए संपर्क किया था. हम पता चला है कि वे कुछ युवाओं, कम से कम दो व्यक्तियों को कट्टरपंथी बनाने में सफल रहे हैं.”