कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री एसएम कृष्णा का मंगलवार तड़के निधन हो गया. उन्होंने बेंगलुरु स्थिति अपने अपने घर में तड़ते पौने तीन बजे अंतिम सांस ली. एसएम कृष्णा कर्नाटक के मुख्यमंत्री के साथ-साथ विदेश मंत्री और महाराष्ट्र के राज्यपाल के पद भी रहे. आज उनके पार्थिव शरीर को मद्दुर ले जाया जाएगा. पूर्व सीएम के निधन पर आंध्र प्रदेश मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू समेत तमाम राजनेताओं ने दुख जताया है.
बता दें कि एसएम कृष्णा का जन्म 1932 में हुआ था. उनका पूरा नाम सोमनाहल्ली मल्लैया कृष्णा था. वह 1999 से 2004 कर्नाटक के मुख्यमंत्री रहे. उसके बाद साल 2004 से 2008 तक वह महाराष्ट्र के राज्यपाल रहे. मनमोहन सरकार में उन्हें केंद्रीय कैबिनेट में शामिल किया गया. मई 2009 में उन्हें विदेश मंत्री बनाया गया. हालांकि साल 2017 में उन्होंने कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया और बीजेपी में शामिल हो गए. साल 2023 में केंद्र सरकार ने उन्हें पद्म विभूषण से सम्मानित किया.
पूर्व विदेश मंत्री एसएम कृष्णा के पिता का नाम एससी मल्लैया था, उन्होंने अपनी मैसूर के महाराजा कॉलेज से स्नातक की डिग्री हासिल की. उसके बाद उन्होंने बैंगलोर के सरकारी कॉलेज से कानून में डिग्री हासिल की. इसके बाद वह उच्च शिक्षा के लिए अमेरिका चले गए. जहां से उन्होंने स्नातक करने के बाद उन्होंने अंतरराष्ट्रीय कानून में शिक्षण कार्य शुरू किया.
अमेरिका में ही उनकी सक्रिय राजनीति में रूचि बढ़ने लगी. इस दौरान उन्होंने अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति जॉन एफ कैनेडी के लिए चुनाव प्रचार भी किया. साल 1962 में वह कर्नाटक लौट आए. इसी साल उन्हें विधानसभा का सदस्य चुन लिया गया. 29 अप्रैल, 1964 को उनकी शादी हो गई. उनकी पत्नी का नाम प्रेमा है.
एसएम कृष्णा का राजनीतिक सफल साल 1960 के आसपास हुआ. जब वह अमेरिका में थे. भारत लौटने के बाद 1962 में उन्होंने पहली बार मद्दुर विधानसभा सीट से निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ा. इस चुनाव में उन्होंने कांग्रेस उम्मीदवार को हरा दिया और विधानसभा पहुंच गए. इसके बाद वह प्रजा सोशलिस्ट पार्टी में शामिल हो गए. साल 1968 में हुए मांड्या लोकसभा के उपचुनाव में भी उन्होंने जीत हासिल की और संसद पहुंच गए.
इसके बाद वह कांग्रेस में शामिल हो गए. साल 1971 में हुए लोकसभा चुनाव में भी उन्होंने मांड्या सीट से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की. 1985 में एसएम कृष्णा फिर से कर्नाटक की राजनीति में आ गए. साल 1999 से 2004 तक वह कर्नाटक के मुख्यमंत्री रहे. उसके बाद दिसंबर 2004 से मार्च 2008 तक वह महाराष्ट्र के राज्यपाल के पद पर रहे. मनमोहन सिंह की सरकार में उन्हें विदेश मंत्री बनाया गया. जनवरी 2023 में उन्होंने सक्रिय राजनीति से संन्यास ले लिया.