रूस-यूक्रेन संघर्ष पर कठिन राजनयिक स्थिति को संभालते हुए पूर्व प्रधानमंत्री और कांग्रेस के दिग्गज नेता मनमोहन सिंह ने भारत के संप्रभु और आर्थिक हित को पहले रखने के मोदी सरकार के कदम की सराहना की है और कहा है कि केंद्र ने ‘सही काम’ किया है. एक अंग्रेजी अख़बार को दिए इंटरव्यू में, मनमोहन सिंह ने कहा कि जब दो या दो से अधिक शक्तियां संघर्ष में फंस जाती हैं तो अन्य राष्ट्र पक्ष चुनने के लिए अत्यधिक दबाव में आ जाते हैं.
मनमोहन सिंह, जिन्होंने कांग्रेस के नेतृत्व वाले संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) के तहत 2004 से 2014 के बीच भारत के प्रधानमंत्री के रूप में कार्य किया, ऐसे समय में जी 20 शिखर सम्मेलन में भारत की अध्यक्षता देखकर खुश हैं, जब विदेश नीति पहले की तुलना में आज कहीं अधिक महत्वपूर्ण हो गई है. उन्होंने रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध के मुद्दे पर भारत के स्टैंड का का समर्थन करते हुए कहा, ‘मेरा मानना है कि भारत ने शांति की अपील करते हुए हमारे संप्रभु और आर्थिक हितों को पहले रखकर सही काम किया है.’
उन्होंने आगे कहा कि जी20 शिखर सम्मेलन को सुरक्षा संबंधी विवादों को निपटाने के मंच के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए. भारत के पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा कि जी20 के सदस्य देशों और संस्थानों को जलवायु चुनौतियों, असमानता, वैश्विक व्यापार में नीति समन्वय और अविश्वास से निपटने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए. उन्होंने चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के G20 शिखर सम्मेलन में शामिल न होने के फैसले पर भी प्रतिक्रिया दी.
पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा, ‘यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने जी20 शिखर सम्मेलन में शामिल नहीं होने का फैसला किया है.’ उन्होंने उम्मीद जताई कि प्रधानमंत्री भारत की क्षेत्रीय और संप्रभु अखंडता की रक्षा करने और द्विपक्षीय तनाव को कम करने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाएंगे. 90 वर्षीय पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा कि वह भारत के भविष्य की चुनौतियों के बारे में चिंतित होने की तुलना में अधिक ‘आशावादी’ हैं, क्योंकि देश आजादी के 75 साल पूरे होने का जश्न मना रहा है.
उन्होंने कहा, ‘कुल मिलाकर, मैं भारत के भविष्य को लेकर चिंतित होने के बजाय अधिक आशावादी हूं. हालांकि, मेरी आशावादिता इस बात पर निर्भर है कि भारत एक सामंजस्यपूर्ण समाज है. सामाजिक सौहार्द ही सभी तरह की प्रगति और विकास का आधार है. भारत की सहज प्रवृत्ति विविधता का स्वागत करना और उसका जश्न मनाना है.’ प्रधानमंत्री के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के पहले चंद्रमा मिशन को याद करते हुए, मनमोहन सिंह ने भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी के तीसरे मिशन में चंद्रमा पर सफल लैंडिंग की सराहना की .