आज से सावन का महीना शुरू हो गया है. यह महीना धार्मिक और परंपराओं के साथ रिमझिम बारिश के रोमांच के लिए जाना जाता है. वातावरण में भी सावन जैसा एहसास होता है. भगवान शिव की पूजा करने के लिए सावन के महीने को शुभ समय मानते हैं. यह माह भगवान भोलेनाथ को समर्पित है. सावन में कांवड़ यात्रा शुरू होती है, शिव भक्त पवित्र नदियों से जल लाकर भगवान शंकर पर जलाभिषेक करते हैं. आज से सावन महीना लगते ही कांवड़ यात्रा भी शुरू हो गई है. हरिद्वार हर की पौड़ी में हर साल लाखों शिव भक्त गंगाजल लेने पहुंचते हैं. कांवड़ यात्रा को लेकर यूपी की योगी और धामी सरकार ने विशेष इंतजाम किए हैं. आज यानी 14 जुलाई से शुरू होने वाली कांवड़ यात्रा 26 जुलाई तक चलेगी.
वहीं सावन का महीना 12 अगस्त को खत्म होगा. यह महीना धार्मिक दृष्टिकोण से काफी महत्वपूर्ण होता है. क्योंकि यह माह भगवान शिवजी की भक्ति-आराधना के लिए समर्पित है. सावन के पूरे महीने भगवान शिवजी की पूजा-अर्चना की जाती है. सावन में पड़ने वाले सोमवार के दिन व्रत रखने का विधान है. इस बार 4 सावन सोमवार पड़ रहे हैं. पहला सावन सोमवार 18 जुलाई को है, दूसरा, 25 जुलाई तीसरा 1 अगस्त और चौथा 8 अगस्त पड़ेगा. सावन का महीना धार्मिक और सात्विक आहार लेने के लिए भी जाना जाता है. इस माह में प्याज, लहसुन भी नहीं खाना चाहिए. मांस- मदिरा का सेवन नहीं करना चाहिए. इस महीने भगवान शंकर की विधि-विधान के साथ पूजा करनी चाहिए. इस माह में ब्रह्मचर्य का भी पालन करना चाहिए. सावन के महीने में सोमवार के व्रत का बहुत अधिक महत्व होता है. सोमवार व्रत के दौरान भगवान शिव का जलाभिषेक करें.
बदलते परिवेश में पेड़ों की डालियों पर अब कम दिखाई पड़ते हैं झूले
सावन का महीना रिमझिम बारिश के लिए जाना जाता है. चारों ओर हरियाली का नजारा मन मोह लेता है. हालांकि बदलते परिवेश में अब कई परंपराएं धीरे-धीरे कम होती जा रही हैं. एक समय था जब सावन माह के शुरू होते ही घर के आंगन में लगे पेड़ों पर झूले पड़ जाते थे और महिलाएं गीतों के साथ झूलों का आनंद उठाती थीं. समय के साथ पेड़ गायब होते गए. आंगन का अस्तित्व भी लगभग समाप्त होने की कगार पर है. ऐसे में सावन के झूले भी इतिहास बनकर हमारी परंपरा से गायब हो रहे हैं. अब सावन माह में झूले कुछ जगहों पर ही दिखाई देते हैं. सावन के महीने में ‘घेवर’ मिठाई भी बनती है. इसके साथ रिमझिम बारिश में पकोड़े भी खूब खाए जाते हैं. हमारी हिंदी फिल्मों में भी सावन के कई गीत लिखे गए हैं. सावन के गीत भी इस महीने को और खूबसूरत बना देते हैं.
सावन का महीना भगवान भोले शंकर के लिए समर्पित है
पूरा सावन का महीना भगवान भोले शंकर के लिए समर्पित रहता है. धार्मिक मान्यता है कि शिव जी को सावन माह प्रिय था. सावन में ही भगवान भोले शंकर ने देवी पार्वती को पत्नी माना था इसलिए शिव को सावन का महीना बहुत ही प्रिय है. हिंदू शास्त्रों के अनुसार समुद्र मंथन के दौरान निकले हुए विष को न तो देव और न ही दानव ग्रहण करना चाहते हैं. तब भगवान शिव ने लोक कल्याण के लिए इस विष का पान कर लिया और उसे अपने गले में रोक लिया जिसके चलते उनका कंठ नीला पड़ गया. विष के प्रभाव से भगवान शिव का ताप बढ़ने लगा तब सभी देवी-देवताओं ने विष का प्रभाव कम करने के लिए भगवान शिव को जल अर्पित किया, जिससे उन्हें राहत मिली. इससे वे प्रसन्न हुए. तभी से हर वर्ष सावन मास में भगवान शिव को जल अर्पित करने या उनका जलाभिषेक करने की परंपरा चली आ रही है.
–शंभू नाथ गौतम