यूपीएससी में लेटरल एंट्री और इसमें रिजर्वेशन नहीं दिए जाने के विरोध के बीच एक बड़ी खबर सामने आई है. केंद्र की मोदी सरकार ने इसको लेकर एक बड़ा एक्शन लिया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्देश के बाद अब भर्ती का विज्ञापन कैंसिल करने का आदेश दे दिया गया है.
बता दें कि इसको लेकर विपक्ष के साथ ही सरकार के सहयोगी दल भी लगातार विरोध कर रहे थे. बता दें कि लेटरल एंट्री के जरिए सीनियर ब्यूरोक्रेसी में एक्सपर्ट्स की नियुक्ति वाली व्यवस्था पर लगातार सवाल उठ रहे थे.
दरअसल यूपीएससी ने लेटरल एंट्री से केंद्र में वरिष्ठ नौकरशाहों की नियुक्ति का एडवरटाइजमेंट दिया. इसको लेकर सत्ता पक्ष के सहयोगी और विपक्ष ने जमकर अपना विरोध जताया.
क्या है विपक्ष का कहना
विपक्षी दलों ने एक सुर में यूपीएससी में लेटरल एंट्री को लेकर विरोध जाहिर किया. कांग्रेस सांसद और लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी ने कहा कि सरकार का ये फैसला प्रशासनिक ढांचे और सामाजिक न्याय दोनों को चोट पहुंचाने वाला है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस के साथ-साथ इंडिया ब्लॉक भी इसका पूरजोर विरोध कर रहा है. उन्होंने कहा कि लेटरल एंट्री के जरिए भर्ती राष्ट्र विरोध कदम है. कांग्रेस नेता ने यह भी कहा कि अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग का आरक्षण खुलेआम छीना जा रहा है.
क्या था सरकार का जवाब
विरोधियों के आरोपों के बीच सरकार की ओर से इस मामले में जवाब सामनेआया था. केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि 2005 में वरिष्ठ नेता वीरप्पा मोइली के नेतृत्व में दूसरे प्रशासनिक सुधार आयोग ने इसका समर्थन किया था.
उन्होंने कहा कि ये पूरी तरह यूपीए सरकार में ही लाया गया प्रस्ताव था. इसमें एक्सपर्ट्स ने आवश्यकता वाले पदों में रिक्त पदों को भरने के लिए विशेषज्ञों की भर्ती की सिफारिश की गई थी.
बीजेपी आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने भी कहा कि यूपीए सरकार के काल में इस तरह के लेटरल भर्ती बिना किसी प्रक्रिया के हो जाती थी, अब तो कम से कम विज्ञापन दिया गया.