जेएनयू की पूर्व उपाध्यक्ष रहीं शेहला रशीद पर केस चलाने का रास्ता साफ हो गया है. दिल्ली के उपराज्याल वी के सक्सेना ने केस चलाए जाने की अनुमति दे दी है.
मामला 2019 में भारतीय फौज के खिलाफ ट्वीट पर समाज में नफरत फैलाने का है. शेहला रशीद 2016 में तब चर्चा में आईं जब जेएनयू कैंपस में देश विरोधी नारे लगे.
उस समय कन्हैया कुमार छात्रसंघ के अध्यक्ष थे. उस मामले में कन्हैया कुमार की गिरफ्तारी हुई हालांकि वो कानूनी कार्रवाई से बचने में कामयाब रहीं.
ये बात अलग है कि 2016 के बाद अलग अलग मौकों पर वो जहर उगलती रहीं.
2019 में भारतीय फौज के खिलाफ टिप्पणी करते हुए कश्मीरियों पर अत्याचार का आरोप लगा, हालांकि फौज ने आरोपों को दरकिनार कर दिया.
इसके बाद एक आयरिश महिला के धर्म परिवर्तन पर टिप्पणी की थी बाद में फेसबुक पर पैगंबर मोहम्मद पर भी टिप्पणी की थी जिसकी आलोचना हुई थी.
श्रीनगर की रहने वाली शेहला रशीद ने राजनीति का भी दामन था. राजनीतिर करियर की शुरुआत नेशनल कांफ्रेंस से की हालांकि उस दल की नीति पसंद नहीं आई और मोहभंग होने के बाद शाह फैसला की पार्टी का दामन था.
चुनावी मैदान में किस्मत भी आजमाई हालांकि हार मिलने के बात राजनीति से मोहभंग हुआ और सक्रिय राजनीति से तौबा कर लिया. शेहला के खिलाफ उनके पिता ने भी गंभीर आरोप लगाए थे. शेहला ने एनआईटी श्रीनगर से कंप्यूटर इंजीनियरिंग की पढ़ाई की थी.
एचसीएल में नौकरी की. लेकिन नौकरी में मन नहीं लगा तो एक बार फिर पढ़ाई शुरू की. जेएनयू में दाखिला लिया और आगे की पढ़ाई की.