केजरीवाल की कुर्सी गई लेकिन मुसीबत नहीं, सीवीसी ने’शीशमहल’ कांड की जांच के आदेश दिए

अरविंद केजरीवाल की मुसीबतें उनका साथ नहीं छोड़ रहीं. पहले दिल्ली की सत्ता गई. खुद अपनी सीट भी गंवा बैठे. अब शीशमहल कांड भी उनका पीछा नहीं छोड़ रहा. ‘शीशमहल’ कांड में अरविंद केजरीवाल कानूनी पचरे में फंसते दिख रहे हैं. उनके खिलाफ जांच बैठ गई है. जी हां, सीवीसी यानी केंद्रीय सतर्कता आयोग ने सीएम रहते अरविंद केजरीवाल के आवास, 6 फ्लैग स्टाफ बंगले के रिनोवेशन यानी नवीनीकरण में कितना खर्च किया, इसके जांच का आदेश दिए हैं. आदेश 13 फरवरी को जारी किया गया. केंद्रीय लोक निर्माण विभाग (सीपीडब्ल्यूडी) ने इस पर रिपोर्ट पेश की थी. अब सवाल है कि आखिर किसकी वजह से अरविंद केजरीवाल की धुकधुकी बढ़ी. आखिर इसकी पटकथा कब लिखी गई.

दरअसल, जिस शख्स की वजह से अरविंद केजरीवाल के कथित शीशमहल पर जांच बैठी है, उसका कनेक्शन भाजपा से है. जी हां, ‘शीशमहल’ को लेकर विजेंद्र गुप्ता ने ही शिकायत दी थी. दिल्ली विधानसभा में भाजपा नेता विजेंद्र गुप्ता ने 14 अक्टूबर 2024 को अरविंद केजरीवाल के सरकारी आवास के संदर्भ में एक गंभीर शिकायत दायर की थी. शिकायत में उन्होंने आरोप लगाया था कि दिल्ली सरकार ने विभिन्न सरकारी संपत्तियों का उपयोग करते हुए फ्लोर एरिया रेशियो और ग्राउंड कवरेज नियमों का उल्लंघन किया है.

शिकायत में क्या-क्या
विजेंद्र गुप्ता की शिकायत के मुताबिक, राजपुर रोड स्थित प्लॉट नंबर 45 और 47, जो पहले वरिष्ठ अधिकारियों और न्यायाधीशों के लिए टाइप-5 फ्लैट्स के रूप में उपयोग किए जा रहे थे, और फ्लैग स्टाफ रोड पर स्थित दो बंगलों (8-ए और 8-बी) को तोड़ा गया. उन्हें एक नए आवास में मिला दिया गया. इसके साथ ही यह भी आरोप लगाया गया कि इस निर्माण में फ्लोर एरिया रेशियो और ग्राउंड कवरेज नियमों का उल्लंघन किया गया. इन बदलावों के लिए उचित लेआउट प्लान की मंजूरी भी नहीं ली गई.

विजेंद्र गुप्ता की शिकायत पर एक तथ्यात्मक रिपोर्ट को 5 दिसंबर 2024 को केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) को प्रस्तुत की गई. इसे सीपीडब्ल्यूडी के मुख्य सतर्कता अधिकारी (सीवीओ) द्वारा तैयार किया गया था. इस रिपोर्ट में शिकायत में उठाए गए बिंदुओं का विश्लेषण किया गया. फिर संबंधित निर्माण कार्यों के उल्लंघन पर विचार किया गया. इसके बाद सीवीसी ने 13 फरवरी 2025 को इस रिपोर्ट की जांच के बाद सीपीडब्ल्यूडी के सीवीओ से मामले की विस्तृत जांच करने के लिए कहा. आयोग ने यह भी निर्देशित किया कि जांच रिपोर्ट के आधार पर संबंधित प्राधिकृत अधिकारी उचित कार्रवाई करें.

क्या है शीशमहल कांड
दरअसल, आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक और दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के सरकारी आवास के नवीनीकरण को लेकर पहले भी विवाद उठ चुके हैं. भाजपा ने दिल्ली में 6 फ्लैग स्टाफ बंगले को ‘शीश महल’ कहा है. यह दिल्ली के मुख्यमंत्री का सरकारी आवास है, जहां 2015 से 2024 तक अरविंद केजरीवाल रहे हैं. बीजेपी का आरोप है कि केजरीवाल ने मुख्यमंत्री रहते हुए आवास में नवीनीकरण में करोड़ों खर्च किए हैं. दिल्ली विधानसभा चुनाव के दौरान भी भाजपा और कांग्रेस ने इस मुद्दे को गंभीरता से उठाया था. कहते हैं कि अरविंद केजरीवला की हार की कई वजहों में शीशमहल भी एक मुद्दा है.

सीपीडब्ल्यूडी को यह जांच करनी है कि क्या इस आलीशान महल (जिसे ‘शीशमहल’ कहा जा रहा है) के निर्माण में भवन निर्माण के नियमों की अनदेखी की गई थी. इस बंगले का नवीनीकरण 40,000 वर्ग गज (करीब 8 एकड़) में किया गया है और आरोप है कि इसके निर्माण के दौरान कई नियमों की अवहेलना की गई. यह जांच खासतौर पर इस बात को लेकर की जाएगी कि क्या फ्लैगस्टाफ बंगले के नवीनीकरण के लिए निर्धारित भवन निर्माण नियमों को तोड़ा गया था, ताकि यह आलीशान महल बनाया जा सके. इस दौरान इस बात की भी जांच की जाएगी कि क्या सार्वजनिक धन का सही तरीके से उपयोग हुआ है और क्या इस निर्माण में कोई वित्तीय अनियमितताएं पाई गईं. सीवीसी की जांच से अरविंद केजरीवाल और उनकी पार्टी के लिए कानूनी संकट और बढ़ सकता है. अब यह देखना दिलचस्प होगा कि सीवीसी की जांच में क्या निष्कर्ष सामने आते हैं और इस मामले में आगे क्या कार्रवाई होती है.

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