सीपीएम महासचिव सीताराम येचुरी का 72 साल की उम्र में निधन हो गया. लंबी बीमारी के बाद उन्हें एम्स में भर्ती कराया गया था, जहां गुरुवार दोपहर उन्होंने अंतिम सांस ली. सांस लेने में तकलीफ होने के बाद उन्हें 19 अगस्त को एम्स में भर्ती कराया गया था. एम्स अस्पताल में दोपहर 1.03 बजे उन्होंने अंतिम सांस ली. उनका पार्थिव शरीर फिलहाल एम्स में है. सीताराम येचुरी को वामपंथी राजनीति का बड़ा चेहरा माना जाता था. उनकी इच्छा के मुताबिक, परिवार ने शव को एम्स में दान कर दिया.
जेएनयू छात्रसंघ के अध्यक्ष रहे सीताराम येचुरी आंध्र प्रदेश के मूल निवासी थे. 1975 में इमरजेंसी के दौरान वे जेल भी गए. वे साल 2015 से सीपीएम के महासचिव रहे. येचुरी की स्कूली पढ़ाई हैदराबाद में हुई थी. सूत्रों के मुताबिक, कामरेड येचुरी ने अपने पार्थिव शरीर को डोनेट करने की मंशा पहले ही साफ कर दी थी. इसलिए सीताराम येचुरी के परिवार ने उनका शव एम्स को दान कर दिया है. येचुरी के शव पर मेडिकल छात्र रिसर्च कर सकेंगे .
सीताराम येचुरी ने सीपीएम नेता हरकिशन सिंह सुरजीत की लीडरशिप में काम सीखा. जिन्होंने गठबंधन युग की सरकारों में प्रमुख भूमिका निभाई. पहले वीपी सिंह की राष्ट्रीय मोर्चा सरकार के दौरान और फिर 1996-97 की संयुक्त मोर्चा सरकार के दौरान, दोनों ही सरकारों को सीपीआई (एम) ने बाहर से समर्थन दिया था. येचुरी की स्वीकार्यता ही थी कि पहली बार वामपंथी दलों ने कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सररकार का समर्थन किया. नीतियां बनाने में कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकार पर अक्सर दबाव डाला.
यहां तक कि भारत-अमेरिका परमाणु डील के मुद्दे पर भी जब बात अटकने लगी थी, तब येचुरी ने मोर्चा संभाला. करात के अड़ियल रुख के कारण वाम दलों ने यूपीए-1 सरकार से समर्थन वापस ले लिया था. कांग्रेस नेता राहुल गांधी, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने उनके निधन पर गहरा दुख व्यक्त किया है. राहुल गांधी ने उनके साथ की एक तस्वीर शेयर करते हुए लिखा, सीताराम येचुरी जी मित्र थे.
हमारे देश की गहरी समझ रखने वाले भारत के विचार के संरक्षक थे. मैं उन्हें हमारे होने वाली लंबी चर्चा के लिए याद करूंगा. दुख की इस घड़ी में उनके परिवार, दोस्तों के प्रति मेरी हार्दिक संवेदना है. ममता बनर्जी ने उनके निधन को राष्ट्रीय राजनीति के लिए बड़ी क्षति करार दिया.