जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग जिले में आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ के दौरान सेना की राष्ट्रीय राइफल्स यूनिट के एक कर्नल, एक मेजर और जम्मू-कश्मीर पुलिस के एक डीएसपी शहीद हो गए. मुठभेड़ के दौरान कर्नल मनप्रीत सिंह, मेजर आशीष धौंचक और डीएसपी हुमायूं भट्ट शहीद हो गए. कर्नल मनप्रीत सिंह 19 राष्ट्रीय राइफल्स (19 आरआर) यूनिट के कमांडिंग ऑफिसर थे और प्रतिष्ठित सेना मेडल (एसएम) मिल चुका है.
जैसे ही सेना को आतंकियों की मौजूदगी की जानकारी मिली तो एक ऑपरेशन लॉन्च किया गया. इस ऑपरेशन में खुद कमांडिंग ऑफिसर मौके पर पहुंचे, लेकिन जैसे ही वह अपनी गाड़ी से उतरे तो आतंकियों ने ताबड़तोड़ फायरिंग शुरू कर दी. इस गोलीबारी में कमांडिंग ऑफिसरों को गोली लगी.
जहां यह गोलीबार हुई वहां पर घना जंगल था इसके चलते सेना अपने अफसरों का इवेक्युएशन नहीं हो सका. बताया जा रहा है कि ज्यादा खून बह जाने के चलते उनकी मौत हो गई. कमांडिंग ऑफिसर कर्नल मनप्रीत सिंह पिछले 5 साल से अनंतनाग जिले में पोस्टेड थे.
कर्नल कर्नल मनप्रीत सिंह पहले वर्ष 2019 से लेकर 2021 तक सेकेंड इन कमांड (2IC)के तौर पर तैनात थे और उसके बाद वह कमांडिंग अफसर के तौर पर 19 RR का बागडोर संभाल रहे थे. मनप्रीत सिंह को सेना मेडल (गैलेंट्री) से भी नवाजा गया था. वहीं इस साल 15 अगस्त को मेजर आशीष धौंचक को भी सेना मेडल (गैलेंट्री) अवॉर्ड से इस 15 अगस्त को नवाजा गया था. सूत्रों के मुताबिक यह वही आतंकी गुट हो सकता है, जिसमें रमजान के दौरान राजौरी में सेना के ट्रक पर हमला किया था, जिसमें 5 सैनिकों की जान चली गई थी.
हरियाणा के पानीपत जिले के बिंझौल गांव के लिए बुधवार का दिन किसी सदमे से कम नहीं था. खबर आई कि गांव का लाल मेजर आशीष ढौंचक जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग में आतंकियों से मुठभेड़ में शहीद हो गए. जैसे ही यह खबर गांव के लोगों को मिली तो वहां पर शोक छा गया. अब आशीष के बचपन और बहादुरी के किस्सों की लोग चर्चा कर रहे हैं. दरअसल, शहीद मेजर आशीष पानीपत जिले के बिंझौल गांव के रहने वाले थे. वह तीन बहनों का इकलौता भाई थे. बताया जा रहा है कि आशीष छह माह पहले अपने साले की शादी के लिए छुट्टी लेकर घर आए थे. था. उनके पिता और मां पानीपत के सेक्टर-7 में किराए के मकान में रहते हैं.
आशीष धौंचक ने 2013 में पहले ही परीक्षा में एसएसबी की परीक्षा पास की और लेफ्टिनेंट बने. बचपन में अपने साथी दोस्तों के साथ चोर-पुलिस खेलते वक्त आशीष हमेशा पुलिस बनते थे और उनका शुरुआत से रूझान सेना और पुलिस की तरफ था. बताया जा रहा है कि आशीष का पार्थिव शरीर उनके घर पहुंचेगा. उनके पैतृक गांव बिंझौल में राज्य के सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया जाएगा.