राजीव गांधी फाउंडेशन का एफसीआरए (विदेशी योगदान विनियमन अधिनियम) लाइसेंस रद्द कर दिया गया है. केंद्र सरकार की ओर से यह फैसला किया गया है. गृह मंत्रालय ने विदेशी अंशदान (विनियमन) अधिनियम के तहत राजीव गांधी फाउंडेशन और राजीव गांधी चैरिटेबल ट्रस्ट का लाइसेंस रद्द किया है. राजीव गांधी फाउंडेशन पर विदेशी फंडिंग में गड़बड़ी का आरोप लगा है.
राजीव गांधी फाउंडेशन गांधी परिवार से जुड़ा हुआ गैर सरकारी संगठन है. 21 जून 1991 को स्थापित राजीव गांधी फाउंडेशन की अध्यक्ष सोनिया गांधी हैं. इसमें अन्य ट्रस्टी डॉ मनमोहन सिंह, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी वाड्रा, पी चिदंबरम, मोंटेक सिंह अहलूवालिया, सुमन दुबे और अशोक गांगुली हैं.
गृह मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक जुलाई 2020 में एक कमेटी का गठन किया गया और उसकी रिपोर्ट के आधार पर फाउंडेशन के लाइसेंस को रद्द करने का फैसला हुआ है. बीजेपी इस फाउंडेशन पर लगातार विदेशी चंदे को लेकर आरोप लगाती रही है. राजीव गांधी फाउंडेशन पर चीन से फंड लेने का आरोप लगा और यह कहा गया कि इसमें नियमों की अनदेखी हुई है.
सरकार के इस फैसले पर बीजेपी आईटी सेल के हेड अमित मालवीय ने कहा कि ऐसा लगता है कि यह संस्था इसलिए बनाई गई थी ताकि पैसा उठाया जा सके और गांधी परिवार के सुख-सुविधाओं के लिए उसको इस्तेमाल किया जा सके. इस फाउंडेशन के जरिए कांग्रेस पार्टी देश भर में विभिन्न कार्यक्रमों को आयोजित किया जाता है. माना जा रहा है कि इस फैसले के बाद सीबीआई और ईडी इस मामले की जांच कर सकती है. केंद्र सरकार की इस कार्रवाई के बाद संगठन विदेशी चंदा नहीं ले पाएगा.