प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार ने पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) पर बड़ा फैसला लिया है. मंगलवार (27 सितंबर, 2022) को केंद्र ने पीएफआई, इसके सदस्यों, संबद्ध संगठनों और फ्रंट्स को तत्काल प्रभाव से पांच साल के लिए अवैध संघ घोषित कर दिया.
केंद्र की ओर से इस कार्रवाई के अलावा आठ और संगठनों पर भी टेरर लिंक को लेकर चाबुक चलाया गया है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इनमें रिहैब इंडिया फाउंडेशन (आरआईएफ), कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया (सीएफआई), ऑल इंडिया इमाम काउंसिल (एआईआईसी), नेशनल कनफडरेशन ऑफ ह्यूमन राइट्स ऑर्गनाइजेशन (एनसीएचआरओ), नेशनल वीमेंस फ्रंट, जूनियर फ्रंट, एम्पावर इंडिया फाउंडेशन व रिहैब फाउंडेशन (केरल).
बुधवार (28 सितंबर, 2022) को भाजपा प्रवक्ता शहजाद पूनावाला बोले, “पीएफआई आतंकी संगठन है. यह सिमी का अवतार है. यह बात कई सरकारों ने कही है. आज सवाल तुष्टिकरण की राजनीति करने वालों से है कि वह इस बैन का समर्थन करते हैं या नहीं?” वहीं, विहिप नेता विनोद बंसल ने बताया कि पीएफआई जैसे संगठन पर प्रतिबंध जरूरी थाय़ मैं तो कहूंगा कि देर आए मगर दुरुस्त आए.
भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव अरुण सिंह ने बुधवार को बेंगलुरु में कहा- राजस्थान में भी जिस प्रकार कई ज़िलों में दंगा हुआ. उसी समय हम कह रहे थे कि पीएफआई का इसमें हाथ था. यहां (कर्नाटक में) पर भी जब सिद्धारमैया कि सरकार था उस समय भी 23 से अधिक लोगों की हत्या हुई थी. देश को अखंड रखने के लिए इसपर (पीएफआई) बैन जरूरी था.
केंद्र की ओर से यह एक्शन ऐसे वक्त पर लिया गया जब एक रोज पहले मंगलवार (27 सितंबर, 2022) को पीएफआई के खिलाफ नए सिरे से कार्रवाई की गई थीं. देश के सात राज्यों में इस संगठन से जुड़े 170 से अधिक लोग हिरासत में लिए गए या गिरफ्तार किए गए थे.