रहें सचेत: देश में महामारी की ‘डबल दहशत’, कोरोना के साथ मंकीपॉक्स की भी बढ़ी रफ्तार, गाइडलाइन जारी

करीब ढाई साल पहले दुनिया में जब कोरोना की शुरुआत हो रही थी तभी एक्सपर्ट और विशेषज्ञों ने भविष्यवाणी भी जारी की थी कि यह महामारी वर्षों तक हमारे साथ बनी रहेगी. अब भविष्यवाणी सही साबित होती दिख रही है. देश में कोरोना महामारी एक बार फिर तेजी के साथ बढ़ रही है.

लेकिन इस बार सबसे बड़ी चिंता यह है कि कोरोना के साथ एक और महामारी ‘मंकीपॉक्स’ भी कदमताल कर रही है. यानी अब देश में दो महामारी एक साथ रफ्तार के साथ आगे बढ़ रही हैं. कोरोना महामारी के बचाव के लिए तो भारत में कई टेस्टिंग लैब और वैक्सीन भी बन चुकी है. लेकिन अभी मंकीपॉक्स के लिए इक्का-दुक्का ही टेस्टिंग लैब है.

इसके साथ इसकी वैक्सीन भी नहीं बन पाई है. बता दें कि करीब 75 देशों में मंकीपॉक्स के लगभग 16 हजार से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं. भारत में भी 14 जुलाई को मंकीपॉक्स ने दस्तक दे दी है. केरल में पहला मामला सामने आने के बाद हाल ही में दिल्ली के शख्स में मंकीपॉक्स के लक्षण पाए जाने के बाद उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया.

अभी तक भारत में 4 केस की पुष्टि हो चुकी है. मंकीपॉक्स के बढ़ते मामलों को देखते हुए विश्व स्वास्थ्य संगठन पहले ही चेतावनी दे चुका है. मंकीपॉक्स को वैश्विक सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल घोषित करते हुए डब्ल्यूएचओ ने सभी देशों को गंभीर होने का आह्वान किया है. वहीं भारत सरकार ने भी मंकीपॉक्स को लेकर गाइडलाइन जारी की है.

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने मंकीपॉक्स के प्रबंधन के लिए गाइडलाइन जारी करते हुए राज्यों को दिशा निर्देश दिए हैं. मंकीपॉक्स संक्रमित रोगी को 21 दिन तक क्वारैंटाइन रहना होगा. चेहरे पर मास्क पहनने के साथ-साथ हाथों को धोते रहें. मास्क तीन लेयर वाला पहनना चाहिए. घावों को पूरी तरह से ढंककर रखें.

पूरी तरह से ठीक होने तक अस्पताल में रहना होगा. अस्पताल के वार्ड में भर्ती संक्रमित रोगी या फिर संदिग्ध रोगी की किसी भी दूषित चीजों के संपर्क में आने वाले स्वास्थ्य कर्मियों को तब तक ड्यूटी से बाहर नहीं करना है, जब तक उनमें कोई लक्षण विकसित न हो. हालांकि, ऐसे स्वास्थ्य कर्मचारियों की 21 दिन तक निगरानी बहुत जरूरी है.

मंकीपॉक्स मरीज के संपर्क में आने, उससे शारीरिक संपर्क बनाने या फिर उसके आसपास दूषित चीजों जैसे कपड़े, बिस्तर आदि के संपर्क में आने पर संक्रमण फैल सकता है. इससे बचना बहुत जरूरी है.

केंद्र के निर्देश पर राज्य सरकारें मंकीपॉक्स से निपटने के लिए इंतजामों में जुटी
केंद्र के दिशा निर्देश के बाद राज्य सरकारें उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश और बिहार आदि में मंकीपॉक्स से निपटने के लिए इंतजामों में जुट गई हैं. उत्तराखंड में धामी सरकार ने बाहर से आने वाले (विशेष तौर पर केरल से) लोगों पर कड़ी निगाह रखने के आदेश जारी किए हैं.

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने स्वास्थ्य विभाग को दिशा निर्देश देते हुए कहा है कि अस्पतालों में मंकीपॉक्स के मरीजों के अलग वार्ड बनाया जाएं. मंकीपॉक्स से निपटने के लिए केंद्र सरकार ने भी तैयारी शुरू कर दी है.

केंद्र ने वैक्सीन मेकर कंपनियों से कहा है कि वो सबसे पहले मंकीपॉक्स के लिए डाइग्नोस्टिक किट्स तैयार करें, ताकि इस रोग की पहचान जल्द और सटीक हो सके. इसके साथ ही बीमारी से निपटने के लिए वैक्सीन भी तैयार करना जरूरी है. इस पर भी तेजी से काम किया जाए.

इसके लिए आईसीएमआर ने कंपनियों से प्रस्ताव भी मांगे हैं . बता दें कि बुखार मंकीपॉक्स का पहला लक्षण है. मंकीपॉक्स के रोगी को एक से तीन दिन तक बुखार रहता है. यह बुखार दो से चार सप्ताह तक रहने की संभावना है. एक अन्य लक्षण त्वचा पर चकत्ते या घाव हैं. मंकीपॉक्स के लक्षणों में दाने या घाव शामिल हैं. ऐसे लक्षण दिखने पर स्वास्थ्य विभाग से संपर्क करें.

शंभू नाथ गौतम

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