केंद्र सरकार ने शनिवार को नई दिल्ली के राष्ट्रपति भवन स्थित मुगल गार्डन का नाम बदलकर अमृत उद्यान कर दिया. भारत की आजादी के 75 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में ‘अमृत महोत्सव’ की थीम को ध्यान में रखते हुए, केंद्र सरकार ने मुगल गार्डन का नाम बदलकर अमृत उद्यान कर दिया.
कब से खुलेगा
अमृत उद्यान का उद्घाटन 29 जनवरी रविवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा किया जाएगा और 31 जनवरी से 26 मार्च तक दो महीने के लिए खुला रहेगा. यह उद्यान भारत के राष्ट्रपति के आधिकारिक निवास के परिसर में स्थित है और इसे मुगल और ब्रिटिश शैलियों का एक सुंदर मिश्रण माना जाता है. 15 एकड़ के क्षेत्र में फैला यह उद्यान फूलों की सैकड़ों किस्मों के लिए प्रसिद्ध है और साल में एक बार फरवरी और मार्च के महीनों के दौरान जनता के लिए खुला रहता है.
नेताओं की प्रतिक्रिया
मोदी सरकार के इस फैसले से भाजपा नेता मनजिंदर सिंह सिरसा ने कहा कि सरकार का यह कदम स्वागतयोग्य है. सिरसा ने इसे बदलते भारत की तस्वीर बताया है. वहीं कांग्रेस नेता रशीद अल्वी ने इसका विरोध किया है. उन्होंने मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि देश हमने आज़ाद कराया , नाम आप बदल रहे हैं. इतिहास को लेकर देश आपको माफ़ नहीं करेगा. आप अपना बनाइये और फिर नाम बदलिए. फिर तो आप राष्टपति भवन को भी तोड़ दीजिये. लाल किला मुगलों ने बनाया था , जिसपर झंडा फहराकर फ़क़्र महसूस करते हैं.
क्या है मुगल गार्डन का इतिहास?
15 एकड़ में फैले इस गार्डन का इतिहास आजादी से काफी पहले का है. गार्डन की खूबसूरती ऐसी है कि इसे राष्ट्रपति भवन की ‘आत्मा’ तक कहते हैं. राष्ट्रपति भवन की वेबसाइट के मुताबिक, यह मुगल गार्डन जम्मू-कश्मीर के मुगल गार्डन, ताजमहल के आस-पास के बागों, भारत और पर्सिया की मिनियेचर पेंटिंग से प्रेरित है. इस गार्डन को भी उसी अंग्रेज आर्किटेक्चर ने डिजाइन किया था, जिसके पास पूरी दिल्ली को डिजाइन करने की जिम्मेदारी थी. सर एडविन लुटियंस. सेंट्रल दिल्ली के पूरे इलाके को आज भी लुटियंस दिल्ली कहते हैं.
मुगल साम्राज्य के समय भी राजधानी दिल्ली ही थी. मुगल शासकों ने दिल्ली और दूसरे शहरों में कई बाग बनाए थे. मुगलों के पहले शासक बाबर ने ही बागों को बनाना शुरू किया था. अकबर ने अपने कार्यकाल के दौरान दिल्ली में खूब बाग बनवाए. आज का जो मुगल गार्डन है, उसे मुगल शासकों द्वारा तैयार की गई खूबसूरती की एक झलक कह सकते हैं. क्योंकि सर लुटियंस भी मुगलों की डिजाइन से प्रेरित थे.
साल 1911 में अंग्रेजों ने अपनी राजधानी कलकत्ता से दिल्ली शिफ्ट की थी. राजधानी शिफ्ट होने के बाद रायसीना की पहाड़ियों को काटकर वायसराय हाउस बनाया गया. उसी वायसराय हाउस को आज हम राष्ट्रपति भवन कहते हैं. इस इमारत को बनाने वाले सर लुटियंस ने मुगलों और पश्चिमी आर्किटेक्चर को मिक्स किया था. वायसराय हाउस के सामने एक गार्डन की भी परिकल्पना की गई. फिर सर लुटियंस ने 1917 तक इस गार्डन की डिजाइन तैयार की. हालांकि गार्डन में प्लांटेशन का काम साल 1928-29 में ही शुरू हुआ.
गुलाब की 159 वेरायटी
क्रिस्टोफर हसी की ‘द लाइफ ऑफ सर एडविन लुटियंस’ में सर लुटियंस की पत्नी ने इस गार्डन को ‘स्वर्ग’ बताया था. यहां लगी घास मुगल गार्डन के निर्माण के दौरान ही कलकत्ता से लाई गई थी. आजादी के बाद भारत के पहले गवर्नर जनरल सी राजगोपालाचारी बने थे. वायसराय हाउस को उनका आवास बनाया गया. आजादी के बाद में देश में खाद्यान्न की काफी कमी थी. राजगोपालाचारी ने इसी मुगल गार्डन के एक हिस्से में गेहूं की खेती भी करवाई. यह परंपरा भी कई सालों तक चली थी.
गार्डन की एक खासियत यहां लगे गुलाब के फूल हैं. गार्डन में गुलाब की 159 वेरायटी मौजूद हैं. फरवरी और मार्च के महीनों में इनमें से अधिकतर फूल खिलते हैं. एडोरा, मृणालिनी, ताज महल, एफिल टावर, मॉडर्न आर्ट, सेंटिमेंटल, ओक्लाहोमा (ब्लैक रोज़), बेलामी, ब्लैक लेडी, पैराडाइज, ब्लू मून और लेडी एक्स जैसी गुलाब की वेरायटी हैं.
गार्डन में गुलाबों के नाम कई चर्चित हस्तियों के नाम पर भी रखे गए हैं. जैसे मदर टेरेसा, राजाराम मोहन राय, अब्राहम लिंकन, जॉन एफ केनेडी, जवाहर, क्वीन एलिजाबेथ, क्रिश्चियन डियोर. गुलाब के अलावा ट्यूलिप, एशियेटिक लिलि, डेफोडिल, दूसरे फूल के भी कई पौधे हैं. और सबकी कई वेरायटी हैं.
हर साल कुछ दिनों के लिए यह गार्डन आम लोगों के लिए खोला जाता है ‘अमृत उद्यान’ को 31 जनवरी को खोला जाएगा.