कोलकाता| सोमवार को पश्चिम बंगाल में सीबीआई ने आरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल के पूर्व प्राचार्य डॉ. संदीप घोष और तीन अन्य को संस्थान में ‘वित्तीय अनियमितता’ में कथित संलिप्तता को लेकर गिरफ्तार किया. अधिकारियों ने यह जानकारी दी.
अधिकारियों ने बताया कि गिरफ्तार किए गए तीन अन्य लोगों में घोष का सुरक्षाकर्मी अफसर अली (44) और अस्पताल के विक्रेता बिप्लव सिंघा (52) और सुमन हजारा (46) शामिल हैं, जो अस्पताल को सामग्री की आपूर्ति किया करते थे. घोष की गिरफ्तारी के एक घंटे के भीतर ही सीबीआई अधिकारियों ने तीन और गिरफ्तारियां की हैं.
आर जी कर अस्पताल की एक ट्रेनी डॉक्टर के साथ कथित बलात्कार और हत्या के मामले में घोष से एजेंसी के साल्ट लेक कार्यालय में 15वें दिन भी पूछताछ की गई. बाद में उन्हें यहां सीबीआई के निजाम पैलेस कार्यालय ले जाया गया, जहां एजेंसी की एंटी करप्शन ब्रांच है. वहां उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया. अस्पताल के पूर्व उपाधीक्षक डॉ. अख्तर अली ने घोष के प्रिंसिपल रहने के दौरान अस्पताल में वित्तीय अनियमितताएं होने की शिकायत दर्ज कराई थी. ट्रेनी डॉक्टर की हत्या की खबर सामने आने के बाद राज्य सरकार ने घोष को छुट्टी पर चले जाने को कहा था.
राज्य स्वास्थ्य विभाग के विशेष सचिव देबल कुमार घोष द्वारा दर्ज कराई गई लिखित शिकायत के आधार पर सीबीआई ने बीते 26 अगस्त को संदीप घोष के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी. एजेंसी ने भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 120 बी (आपराधिक साजिश) धारा 420 (धोखाधड़ी) के साथ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 (2018 में संशोधित) की धारा सात लगाई है, जो एक लोक सेवक द्वारा अवैध रूप से रिश्वत स्वीकार करने से संबंधित है.
सीबीआई द्वारा कलकत्ता हाईकोर्ट के निर्देश पर राज्य द्वारा गठित विशेष जांच दल (एसआईटी) से जांच अपने हाथ में लेने के बाद शनिवार को प्राथमिकी दर्ज की गई थी. नौ अगस्त को एक महिला चिकित्सक से कथित बलात्कार और हत्या के मामले में पश्चिम बंगाल सरकार ने एसआईटी का गठन किया था.
यह आदेश आरजी कर अस्पताल के पूर्व उपाधीक्षक अख्तर अली की याचिका पर जारी किया गया, जिन्होंने संस्थान में कथित वित्तीय कदाचार की प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) से जांच कराने का अनुरोध किया था. अली ने हाईकोर्ट का रुख किया था, क्योंकि इस बात को लेकर अटकलें लगाई जा रही थीं कि क्या संस्थान में कथित भ्रष्टाचार का संबंध महिला डॉक्टर की मौत से जुड़ा है, और क्या पीड़िता को इसकी जानकारी थी एवं इससे मामले के उजागर होने का खतरा था.