बिलकिस बानो केस के 11 दोषियों की रिहाई के खिलाफ याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई 18 अप्रैल के लिए टल गई है. सोमवार (27 मार्च) को सुप्रीम कोर्ट ने पीड़िता की याचिका पर गुजरात सरकार और दोषियों से जवाब मांगा. इसका दोषियों के वकील ने सुभाषिनी अली और महुआ मोइत्रा की याचिका का विरोध किया. उन्होंने कहा कि बाहरी लोगों को दखल की इजाजत नहीं मिलनी चाहिए.
शीर्ष अदालत ने गुजरात सरकार को दोषियों की सजा में छूट संबंधी फाइल के साथ 18 अप्रैल को तैयार रहने के आदेश दिए हैं. गुजरात के गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस के एक डिब्बे में आगजनी की घटना के बाद भड़के दंगे के दौरान साल 2002 में बिलकिस के साथ गैंगरेप किया गया था. साथ ही उनके परिवार के सात सदस्यों की हत्या कर दी गई थी.
इस मामले में अदालत ने 21 जनवरी 2008 को 11 दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई थी. इसके बाद से सभी 11 दोषी गोधरा जेल में बंद थे और पिछले साल 15 अगस्त को उन सभी को रिहा कर दिया गया था.
जस्टिस के. एम. जोसेफ और जस्टिस बी. वी. नागरत्ना की पीठ ने मामले की सुनवाई के लिए 18 अप्रैल की तारीख मुकर्रर करते हुए कहा कि इसमें कई मुद्दे शामिल हैं और इस मामले को विस्तार से सुनने की आवश्यकता है. कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि वह इस मामले में भावनाओं के साथ सुनवाई के बजाय कानून के विभिन्न पहलुओं पर विचार करेगा.
बता दें कि चार जनवरी को जस्टिस अजय रस्तोगी और जस्टिस बेला एम त्रिवेदी की पीठ के समक्ष यह मामला आया था, लेकिन जस्टिस त्रिवेदी ने बिना कोई कारण बताए मामले की सुनवाई से खुद को अलग कर लिया था. बिलकिस बानो ने अपनी लंबित रिट याचिका में कहा है कि राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट की तरफ से निर्धारित कानून की पूरी तरह से अनदेखी करते हुए एक आदेश पारित किया.