गुजरात दंगों पर बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री दिखाए जाने पर लगे बैन मामले में दायर अर्जियों पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है. शीर्ष अदालत ने इस मामले में केंद्र सरकार से तीन सप्ताह के भीतर जवाब मांगा है.
सुप्रीम कोर्ट इस मामले की अगली सुनवाई अप्रैल में करेगा. एससी में दायर अर्जियों में 2002 के गुजरात दंगों पर बनी बीबीसी डॉक्यूमेंट्री पर पाबंदी लगाने से सरकार को रोकने के लिए निर्देश जारी करने की मांग की गई है.
न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति एम एम शाह की पीठ ने वरिष्ठ पत्रकार एन राम, तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) की सांसद महुआ मोइत्रा और कार्यकर्ता एवं अधिवक्ता प्रशांत भूषण की ओर से दायर याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए केंद्र और अन्य को नोटिस जारी किया.
पीठ ने अधिवक्ता एम एल शर्मा की याचिका पर भी नोटिस जारी किया. शीर्ष अदालत ने केंद्र सरकार को प्रतिबंध संबंधी आदेश के मूल रिकॉर्ड पेश करने का निर्देश भी दिया. पीठ ने कहा, ‘हम नोटिस जारी कर रहे हैं. जवाबी हलफनामा तीन हफ्ते के भीतर दाखिल किया जाना चाहिए. प्रत्युत्तर उसके दो हफ्ते के बाद दिया जाना चाहिए.’
गुजरात दंगों पर बीबीसी की इस डॉक्यूमेंट्री पर विवाद हो गया है. सरकार के निर्देश पर ट्विटर, यूट्यूब ने अपने प्लेटफॉर्मों से इस डॉक्यूमेंट्री को दिखाए जाने पर रोक लगा दी है. सरकार का कहना है कि यह भारत की संप्रभुता को कमजोर करने वाली और सामाजिक सौहार्द बिगाड़ने वाली है. वहीं, विपक्ष सरकार पर सेंसरशिप लगाने का आरोप लगाया है. विपक्ष के नेताओं का कहना है कि सरकार अभिव्यक्ति की आजादी पर रोक लगा रही है.