यूपी के वाराणसी में ज्ञानवापी के पूरे परिसर की एडिशनल एएसआई सर्वे की मांग पर कोर्ट का फैसला आ गया है. अदालत ने हिंदू पक्ष की इस याचिका को खारिज कर दिया है. हिंदू पक्ष ने बंद तहखाने के अलावा पूरे परिसर और वजूखाने में मिले कथित शिवलिंग के सर्वे की मांग की थी, जिसे सिविल जज सीनियर डिविजन की फास्ट ट्रैक कोर्ट ने खारिज कर दिया.
अब हिंदू पक्ष के वकील जय शंकर रस्तोगी ने कहा है कि वाराणसी कोर्ट के इस आदेश के खिलाफ हाई कोर्ट में अपील करेगा. उनकी तरफ से एएसआई सर्वे और सेंट्रल डोम के नीचे खुदाई कराकर सर्वे कराने की याचिका दायर की गई थी, जिसको आज न्यायालय ने खारिज कर दिया.
वकील ने आगे कहा, ‘कोर्ट का यह फैसला नियमों और तथ्यों के खिलाफ है. मैं इससे व्यथित हूं और हाई कोर्ट में जाकर इसे चुनौती दूंगा. 8.4.2021 के आदेश के अनुसार सर्वेक्षण के लिए एएसआई को 5 सदस्यीय समिति नियुक्त करनी थी, जिसमें एक व्यक्ति अल्पसंख्यक समुदाय का और एक केंद्रीय विश्वविद्यालय का एक्सपर्ट होता. इन सभी को ASI का सर्वेक्षण करना था. पिछला सर्वेक्षण एएसआई ने ही किया था. हाईकोर्ट ने पुष्टि की थी कि सर्वेक्षण उस आदेश (8.4.2021 के) के अनुपालन में नहीं था. हम तत्काल आधार पर हाईकोर्ट का रुख करेंगे.’
ज्ञात हो कि यह मामला 33 साल से लंबित चल रहा था, जिसपर शुक्रवार को सिविल जज (सीनियर डिवीजन फास्ट ट्रैक) युगुल शंभू ने मुस्लिम पक्ष की दलील और वकीलों की बहस के बाद फैसले को सुरक्षित रख लिया था.
उधर मुस्लिम पक्ष लगातार एएसआई सर्वे के विरोध में था. अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी ने दलील दी है कि ज्ञानवापी में एएसआई की ओर से सर्वेक्षण हो चुका है. अब अतिरिक्त सर्वे का कोई औचित्य नहीं है. एएसआई सर्वे में पहले ही कई अहम प्रमाण मिल चुके हैं. मंदिर परिसर में 32 शिलापट और पत्थर मिले, जो हिंदू मंदिरों से जुड़े थे. इन शिलापटों पर देवनागरी, कन्नड़ और तेलुगू के आलेख मिले. सर्वे में सामने आया कि खंभों में बदलाव करके हिंदू चिह्नों और नक्काशी को मिटाया गया. इसके अलावा कई हिस्सों में मंदिर के स्ट्रक्चर हैं और तहखानों में मूर्तिकला के अवशेष पाए गये हैं.