केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने चुनावी बांड मामले में कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर निशाना साधा है. उन्होंने राहुल को यह स्वीकार करने की चुनौती दी है कि, कांग्रेस ने भी चुनावी बांड (अब समाप्त हो चुकी) के माध्यम से धन की “उगाही” की थी. बता दें कि, अमित शाह ने विपक्ष द्वारा इस योजना को “दुनिया की सबसे बड़ी जबरन वसूली योजना” वाले दावे पर प्रतिक्रिया देते हुए ये बयान दिया है.
शाह ने एक मीडिया चैनल को दिए इंटरव्यू में कहा कि, “विपक्षी पार्टियों को बांड के माध्यम से भी दान मिला है, क्या वह भी रंगदारी है? राहुल गांधी को लोगों को बताना चाहिए, ‘हां, हमने भी उगाही की है”
इसके साथ ही भाजपा ने यह भी दोहराया कि, सांसदों की संख्या के अनुपात में विपक्षी दलों को मिलने वाला चंदा सत्तारूढ़ दल को मिलने वाले दान से कहीं अधिक है. उन्होंने कहा कि, ”विपक्ष के पास कोई मुद्दा नहीं है… हमारे खिलाफ भ्रष्टाचार का कोई आरोप नहीं है. इसलिए वे भ्रम पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन वे सफल नहीं होंगे.”
गौरतलब है कि, जनवरी 2018 में नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा पेश किया गया चुनावी बांड एक ऐसी योजना थी, जिसके माध्यम से कंपनियां/व्यक्ति दानदाताओं की पहचान उजागर किए बिना राजनीतिक दलों को धन दे सकते थे. हालांकि, इस साल फरवरी में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया कि यह योजना “असंवैधानिक” थी और इसे रद्द कर दिया गया.
इसके साथ ही शीर्ष अदालत ने भारतीय स्टेट बैंक (SBI) को भी भारत के चुनाव आयोग से बांड खरीदे जाने से संबंधित जानकारी प्रदान करने के निर्देश दिए थे, जिसमें दाता-पार्टी लिंक, पार्टियों द्वारा प्राप्त कुल धन, कुल दान शामिल समेत तमाम जानकारी शुमार थी.
SBI ने जारी किया चुनावी बांड का आंकड़ा
सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों पर कार्रवाई करते हुए, ईसीआई ने अपनी वेबसाइट पर विवरण अपलोड किया, जिसमें दिखाया गया कि ₹8251 करोड़ की धनराशि के साथ भाजपा, कुल राशि का लगभग 50% (₹16,518 करोड़) के साथ सबसे बड़ी लाभार्थी थी. इसके बाद कांग्रेस (₹1952 करोड़) और उसके बाद तृणमूल कांग्रेस (₹1705 करोड़) थी.
शाह ने एक मीडिया चैनल को दिए इंटरव्यू में कहा कि, “विपक्षी पार्टियों को बांड के माध्यम से भी दान मिला है, क्या वह भी रंगदारी है? राहुल गांधी को लोगों को बताना चाहिए, ‘हां, हमने भी उगाही की है”
इसके साथ ही भाजपा ने यह भी दोहराया कि, सांसदों की संख्या के अनुपात में विपक्षी दलों को मिलने वाला चंदा सत्तारूढ़ दल को मिलने वाले दान से कहीं अधिक है. उन्होंने कहा कि, ”विपक्ष के पास कोई मुद्दा नहीं है… हमारे खिलाफ भ्रष्टाचार का कोई आरोप नहीं है. इसलिए वे भ्रम पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन वे सफल नहीं होंगे.”
गौरतलब है कि, जनवरी 2018 में नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा पेश किया गया चुनावी बांड एक ऐसी योजना थी, जिसके माध्यम से कंपनियां/व्यक्ति दानदाताओं की पहचान उजागर किए बिना राजनीतिक दलों को धन दे सकते थे. हालांकि, इस साल फरवरी में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया कि यह योजना “असंवैधानिक” थी और इसे रद्द कर दिया गया.
इसके साथ ही शीर्ष अदालत ने भारतीय स्टेट बैंक (SBI) को भी भारत के चुनाव आयोग से बांड खरीदे जाने से संबंधित जानकारी प्रदान करने के निर्देश दिए थे, जिसमें दाता-पार्टी लिंक, पार्टियों द्वारा प्राप्त कुल धन, कुल दान शामिल समेत तमाम जानकारी शुमार थी.
SBI ने जारी किया चुनावी बांड का आंकड़ा
सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों पर कार्रवाई करते हुए, ईसीआई ने अपनी वेबसाइट पर विवरण अपलोड किया, जिसमें दिखाया गया कि ₹8251 करोड़ की धनराशि के साथ भाजपा, कुल राशि का लगभग 50% (₹16,518 करोड़) के साथ सबसे बड़ी लाभार्थी थी. इसके बाद कांग्रेस (₹1952 करोड़) और उसके बाद तृणमूल कांग्रेस (₹1705 करोड़) थी.