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मानसून सत्र से पहले घमासान: असंसदीय शब्दों को हटाने के बाद संसद परिसर में भी धरने पर भी रोक, विपक्ष का चढ़ा और पारा

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तीन दिन बाद यानी 18 जुलाई को संसद का मानसून सत्र शुरू हो रहा है. आमतौर पर सत्र के दौरान पक्ष और विपक्ष के बीच सियासी घमासान देखने को मिलता है. लेकिन इस बार पहले ही केंद्र सरकार और विपक्षी नेताओं के बीच जुबानी जंग शुरू हो गई है. मामले की शुरुआत बुधवार से हुई। मानसून सत्र के लिए लोकसभा सचिवालय ने कुछ शब्दों और मुहावरे को कार्यवाही के दौरान हटाने के लिए लिस्ट जारी की. जारी की गई लिस्ट में कहा गया कि संसद में बहस के दौरान इनका इस्तेमाल गलत और असंसदीय माना जाएगा. इन शब्दों में जुमलाजीवी, बाल बुद्धि, भ्रष्ट, मगरमच्छ के आंसू, तानाशाही, निकम्मा, नौटंकी भी शामिल हैं. इसके बाद विपक्षी पार्टियों ने इस फैसले का विरोध जताना शुरू कर दिया. विपक्ष की नाराजगी के बीच आज एक और राज्यसभा के महासचिव पीसी मोदी ने नया आदेश जारी कर दिया.

इसमें कहा गया है कि संसद में किसी भी तरह के धरने की अनुमति नहीं दी जाएगी. सांसद किसी भी प्रदर्शन, धरना, हड़ताल, अनशन या किसी भी तरह के धार्मिक समारोह संसद भवन के परिसर में नहीं कर सकेंगे. इससे पहले बुधवार को लोकसभा सचिवालय ने असंसदीय शब्दों की लिस्ट जारी की थी. इसके विरोध में कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी ने कहा कि सरकार की मंशा है कि जब वो भ्रष्टाचार करे, तो उसे भ्रष्ट नहीं, ‘मास्टरस्ट्रोक’ बोला जाए. 2 करोड़ रोजगार, किसानों की आय दोगुनी जैसे जुमले फेंके, तो उसे जुमलाजीवी नहीं; ‘थैंक यू’ बोला जाए. उन्होंने सवाल पूछा कि संसद में देश के अन्नदाताओं के लिए आंदोलनजीवी शब्द किसने प्रयोग किया था.

तृणमूल सांसद महुआ मोइत्रा ने ट्वीट किया, ‘आपका मतलब है कि मैं लोकसभा में खड़ी नहीं हो सकती और यह बात नहीं कर सकती कि कैसे एक अक्षम सरकार ने भारतीयों को धोखा दिया है, जिन्हें अपने पाखंड पर शर्म आनी चाहिए. तृणमूल के डेरेक ओ’ब्रायन ने लोकसभा सचिवालय के इस फैसले को चुनौती दी है. उन्होंने कहा, ‘मैं इन शब्दों का इस्तेमाल करना जारी रखूंगा. विपक्ष के विरोध के बाद लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला ने कहा कि किसी शब्द पर बैन नहीं लगाया गया है.

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